इंफाल । मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा को छह महीने हो गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इन छह महीनों में राज्य में 187 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि राज्य में 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। 120 से ज्यादा शव आज भी सरकारी अस्पतालों के मुर्दाघरों में पड़े हैं। उधर, कुकी-मैतेई समुदाय कई शवों के लापता होने का दावा कर रहे हैं। हिंसा में 50 हजार 648 लोगों के घर उजड़ चुके हैं। हिंसा के चलते मणिपुर देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सबकुछ दो समुदायों में बंट चुका है। हिंसा से पहले 34 लाख की आबादी और 16 जिलों वाले राज्य में मैतेई-कुकी साथ रहते थे, लेकिन हालात अब कुकी बहुल चूराचांदपुर, टेंगनाउपोल, कांगपोक्पी, थाइजॉल, चांदेल जिलों में कोई भी मैतेई नहीं बचा है। ठीक इसी तरह मैतेई बहुल इंफाल वेस्ट, ईस्ट, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं। इस बीच, शुक्रवार 3 नवंबर को मैतेई लीपुन प्रमुख प्रमोद सिंह पर हमला हुआ। वे सुबह करीब 7.10 बजे शिजा अस्पताल के पास कार से जा रहे थे। तभी उनकी कार पर अज्ञात लोगों ने गोली चला दी। प्रमोदी और उनका ड्राइवर कार में ही नीचे बैठ गए। दोनों घायल नहीं हुए। बाद में देखा तो उन्होंने कार में गोलियों के 6 होल देखे। हमले की वजह पता नहीं लगी है। फोरेंसिक टीम ने सैंपल लिया है और एफआईआर दर्ज कराई गई है।

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