नई दिल्ली। भारतीय पिचों पर विराट कोहली का बल्ला जिस तरह से आग उगल रहा है, ठीक उसी तरह महंगाई के पिच पर अरहर दाल बैटिंग कर रही है। जबकि, सरसों तेल, सोया ऑयल जैसे खाद्य तेलों का हाल पाकिस्तान जैसा हो गया है। पिछले 10 महीनों में अरहर दाल की कीमतों में करीब 35 फीसद का उछाल आया है, तब सरसों तेल करीब 19 फीसद सस्ता हो गया है। उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक तुअर दाल की औसत की कीमत 111.50 रुपये से उछल कर 150.48 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है। पिछले 10 महीनों में यह उछाल आया है। सोमवार को अरहर दाल का अधिकतम मूल्य 188 रुपये प्रति किलो और न्यूनतम 75 रुपये था। मॉडल मूल्य 160 रुपये प्रति किलो रहा। इसी तरह उड़द दाल, मूंग दाल, चना दाल भी महंगाई की पिच पर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए क्रमश: 10.24 फीसद, 11.51 फीसद और 13.76 फीसद उछल चुके हैं। चुनावी साल में भले ही प्याज इस बार लोग की पहुंच से बाहर नहीं हुआ है, लेकिन 10 महीने पहले के मुकाबले यह महंगाई की पिच पर रोहित शर्मा की तरह बैटिंग कर रहा है।

प्याज इस अवधि में करीब 40 फीसद महंगा हुआ है। 23 दिसंबर 2022 को प्याज की औसत कीमत 26.65 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 27.27 रुपये पर पहुंच गई है। हालांकि आलू 3.59 फीसद सस्ता होकर 24.41 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। दूसरी ओर चंद महीने पहले जबरदस्त फार्म में चल रहे टमाटर का प्रदर्शन फीका दिख रहा है। हालांकि, 10 महीने पहले के मुकाबले यह भी करीब 10 फीसद चढ़कर 27.19 रुपये से 29.80 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। इस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान का जिस तरह से हाल है, वैसा खाद्य तेलों का भी हो चुका है। महंगाई की पिच पर खाद्य तेल औंधेमुंह गिरे हैं। सरसों तेल 10 महीने पहले के मुकाबले 168.84 रुपये प्रति लीटर से गिरकर 126.78 पर आ गया है। सूरजमुखी तेल का प्रदर्शन तब बाबर आजम जैसा हो गया है। यह करीब 25 फीसद गिरकर 166 से 125 पर आ गया है। सोया तेल में 18 फीसद से अधिक की गिरावट है।

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