तेल अवीव। इजराइल और हमास के बीच चल रही जंग के बीच जुबानी जंग भी शुरु हो गई है। यूएन लगातार इजराइल को नसीहत देते हुए इंसा‎नियत और नै‎तिकता का पाठ पढ़ा रहा है। ये सब सुनते सुनते इजराइल युनाइटेड नेशन पर भड़क गया है। गुस्से में इजराइल के राजदूत ‎गिलाद एर्दान ने यूएन के महास‎चिव एंतो‎नियो गुतारेस से यहां तक कह ‎दिया ‎कि आप इस पद के लायक नहीं हैं,आपको तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चा‎हिए। एर्दान यहीं नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा ‎कि आप नै‎तिकता और इंसा‎नियत खो चुके हैं,इस‎लिए आपको पद पर रहने का हक नहीं है। उन्होंने कहा ‎कि आप ऐसे शब्दों का उपयोग कर रहे हैं ‎‎जिन्हें सुनने की अब इजराइल के पास क्षमता नहीं है। आप आतंकवाद को सहन करके उसे बढ़ावा दे रहे हैं। एर्दान ने कहा,इजरायल के नागरिकों और यहूदी लोगों के खिलाफ किए गए सबसे भयानक अत्याचारों के प्रति दया दिखाना ठीक नहीं हैं।
इजराइल की इस नाराजगी का प‎रिणाम ये हुआ ‎कि इजराइल के ‎विदेश मंत्री एली कोहेन की मुलाकात संयुक्त् राष्ट्र के मुख्यालय में गुतारेस से होनी थी ‎जिसे रद्द कर ‎दिया गया है। इसके अलावा उन पर आतंकवाद को बर्दाश्त करने और उचित ठहराने का आरोप लगाया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, यह भी मानना महत्वपूर्ण है कि हमास द्वारा किए गए हमले अकारण नहीं हुए। फलस्तीन के लोगों को 56 वर्षों से घुटन भरे कब्जे का सामना करना पड़ रहा है।
इजराइल का संयुक्त राष्ट्र के प्र‎ति गुस्से का एक कारण यह भी रहा है ‎कि यूएन के महास‎चिव गुतारेस ने कहा था उन्होंने अपनी ज़मीन को लगातार (यहूदी) बस्तियों द्वारा हड़पते और हिंसा से ग्रस्त होते देखा है। उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई। उनके लोग विस्थापित हो गए और उनके घर ध्वस्त कर दिये गए। अपनी दुर्दशा के राजनीतिक समाधान की उनकी उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं। उन्होंने कहा, लेकिन फलस्तीनियों की शिकायतों को हमास के भयावह हमलों से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। और वे भयावह हमले फलस्तीनी लोगों की सामूहिक दंड को उचित नहीं ठहरा सकते है।हमास आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध में इजरायल ने अभी तक जमीनी हमला नहीं शुरू किया है। हालांकि, गाजा पट्टी पर अपने हमले को और तेज कर दिया है। 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के घातक हमले के बाद चल रहे युद्ध में हजारों लोग मारे गए हैं। इसके अलावा, इजराइल ने गाजा पर नाकाबंदी लगा दी है। ‎जिसके कारण गाजा में लाखों लोगों के सामने भोजन पानी जैसी बु‎नियादी जरुरतों का संकट खड़ा हो गया है।

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