बीजिंग। अमेरिका सहित कई देश क्रिसमस का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उन्‍हें मालूम है इस बार क्रिसमस की छुट्टियां आसान नहीं होने वाली हैं। आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा है कि इस बार की सर्दियां तंगी लेकर आने वाली होगी जिसकी वजह होगा चीन। अमेरिका को चीन के आर्थिक पतन में अब अपना भविष्य दिख रहा है। कई विशेषज्ञों के मुताबिक प्रशांत महासागर की ओर से आ रही बर्बादी अमेरिका में दस्‍तक दे उससे पहले देश को अपना रास्ता सुधारने की सख्‍त जरूरत है।
एक आर्टिकल में कहा गया है कि मीडिया में यह बात सामने आ चुकी है कि चीन का 40 सालों से चला आ रहा जो स्‍वर्ण काल चल रहा था, वह अब खत्‍म हो चुका है। यह सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्‍यों हो रहा है। इसके बाद इस तबाही से बचना बहुत जरूरी है। मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर चीन की अर्थव्‍यवस्‍था की बुनियाद है। यह दशकों से इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार रहा है और अब खस्ताहाल है। दूसरी ओर खरबों डॉलर वाला रीयल एस्‍टेट मार्केट भी अस्थिर कर्ज दरों की वजह से ढह रहा है। साथ ही जिस इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर इंडस्‍ट्री को असाधारण माना जाता था अब वह भी बुरे दौर में है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भी जिस तरह से डरी हुई है, उससे स्टॉक मार्केट में चीनी युआन की कीमतों पर भी असर पड़ रहा है।
सीसीपी ने आर्थिक आंकड़ों को जारी करना भी बंद कर दिया है। साथ ही ऐतिहासिक रूप से युवा बेरोजगारी भी उच्‍च स्‍तर है और इस समस्या को भी नजरअंदाज कर दिया जा रहा है। कई आर्थिक विशेषज्ञ इसे राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की अक्षमता का नतीजा बता रहे हैं। उनकी पार्टी राजनीतिक रूप से पसंदीदा उद्योगों और सरकार के नियंत्रण वाले उद्यमों के लिए खरबों डॉलर भेजती है। जबकि उन उद्यमियों और बाजारों को दबाने में लगी रही जिन्होंने 40 साल पहले चीन को प्रमुखता से आगे बढ़ाना शुरू किया था। जिनपिंग के शासन में अब चीन पांच फीसदी की वृद्धि दर भी बमुश्किल हासिल कर पा रहा है। यह एक विकासशील देश के लिए औसत दर्जे का है।
चीन के नागरिक जो पिछले काफी सालों से चमत्कारिक विकास के आदी थे, उन्‍हें यह आंकड़ा निराश करने वाला है। नागरिकों का भरोसा भी सीसीपी पर से खत्‍म हो रहा है। वे अब खर्च और निवेश से पीछे हटने लगे हैं। अमेरिकी विशेषज्ञों ने स्थिति को निराशाजनक बताया है। उनका कहना है कि कोई भी चीन की गलतियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। वहीं गलतियां अमेरिका में भी हो रही हैं। अर्थव्यवस्था में अमेरिकी सरकार का दखल बढ़ने लगा है और इस वजह से देश में हड़ताल संस्‍कृति भी चीन की तर्ज पर आगे बढ़ रही है। उच्च करों और व्यापार के लिए सख्‍त नियम अब आम बात हो गई है। बाइडन प्रशासन भी जिनपिंग की तरह ही राजनीतिक रूप से पसंदीदा व्यवसायों और वोटिंग ब्लॉकों में खरबों का निवेश कर रहा है। यह बड़े खतरे की घंटी है जिस पर अलर्ट होना होगा। वहीं अर्थव्यवस्था में नई मुद्रा को डालकर इस को प्रोत्साहित करने की कोशिशें की जा रही हैं। इसका नतीजा है कि महंगाई 40 सालों में उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गई है। जबकि कमजोर विकास ने अमेरिकियों को निराश कर दिया है।

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