न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी को उस वक्त और बल मिला, जब भूटान ने नई दिल्ली का समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित कर भूटानी विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने कहा, हमारा मानना है कि हमारे समय की बहुमुखी चुनौतियों से निपटने के लिए प्रासंगिक और प्रभावी बने रहने के मकसद से यूएनएससी को विकसित होना चाहिए और इस संबंध में, भूटान सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों के विस्तार का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि एक सुरक्षा परिषद में, भारत और जापान को स्थायी सदस्यों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। इसी तरह से, अफ्रीकी संघ के सदस्यों को भी यूएनएससी में स्थान मिले। भूटान की तरफ से यह बयान उस समय में आया है, जबकि हाल में संपन्न जी20 सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की भारत की पहल का उदाहरण देकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र से सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए ‘प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित कर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किया जाना एक ‘अहम कदम’ है। उन्होंने कहा, यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया। ऐसा कर हमने समूचे महाद्वीप को आवाज दी जिससे उस लंबे समय से वंचित रखा गया था। जयशंकर ने कहा, सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से उससे भी अधिक पुराने संगठन संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रभाव एवं विश्वसनीयता दोनों के लिए व्यापक प्रतिनिधित्व एक पूर्वशर्त है। उन्होंने कहा, जिस रूप में संयुक्त राष्ट्र अपने आप को पेश करता है, उसके लिए साझा आधार खोजना जरूरी है। दूसरों को सुनना एवं उनके दृष्टिकोण को सम्मान देना कोई कमजोरी नहीं होती है, यह तब सहयोग का मूलभूत तत्व है। केवल तभी वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक प्रयास सफल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कैसे अपनी चर्चाओं में देश अक्सर नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं और समय समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति सम्मान की भी बात उठाई जाती है।