न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क में संपन्न इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ: डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी20 की अध्यक्षता के महत्व को दर्शाते हुए कहा ‎कि जब भी द‎क्षिण-दक्षिण सहयोग की बात आई है, नई दिल्ली ने ही पहल की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफ्रीकी संघ को स्थायी जी20 सदस्य के रूप में शामिल करने की सराहना करते हुए इसे शिखर सम्मेलन के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक बताया। भारत के ‎विदेश मंत्री ने कहा ‎कि हालांकि हम इस साल के अंत तक जी20 के अध्यक्ष हैं,ले‎किन उसके बाद भी हम भागीदार और सहयोगी के रुप में योगदान कर विकास संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के प्रेरक बनेंगे। हम अपने अनुभवों और चुनौतियों को साझा करने की भावना रखते हैं। उन्होंने कहा कि अफ्रीकी संघ को जी20 का पूर्ण सदस्य बनाकर भारत ने जो संदेश देना चाहा है, वह न केवल समूह के भीतर बल्कि इसके बाहर भी गूंजेगा।

 

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में कहा ‎कि राजदूत कंबोज ने ‎जिस प्रकार उल्लेख किया कि हम आज दुनिया भर के लगभग 80 देशों में सक्रिय हैं और जब दक्षिण-दक्षिण सहयोग की बात आती है, तो हमने बातचीत को जारी रखने का पूरा प्रयास किया है। भू-राजनीतिक गणनाएं और प्रतिस्पर्धाएं आज कई देशों की मूलभूत आवश्यकताओं को प्रभावित कर रही हैं, जिनमें भोजन, उर्वरक और ऊर्जा तक उनकी सस्ती पहुंच भी शामिल है। जयशंकर ने कहा, ‎कि हर गुजरते दिन के साथ, हमारे लिए यह स्पष्ट हो गया है कि आज भू-राजनीतिक गणना और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धाएं कई देशों की मूलभूत आवश्यकताओं को प्रभावित कर रही हैं, जिनमें भोजन, उर्वरक और ऊर्जा तक उनकी सस्ती पहुंच शामिल है। उन्होंने कहा, ‎कि हमारे लिए यह सुनिश्चित करना एक विशेष जिम्मेदारी थी कि हमारे सभी जी20 सदस्यों के सहयोग से, ग्लोबल साउथ की तत्काल निराशाजनक जरूरतों पर जी20 को फिर से केंद्रित करने में सक्षम थे जो आठ प्रमुख परिणामों में परिलक्षित किया था। इसमें सतत विकास लक्ष्यों के लिए कार्य योजना, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, एक हरित विकास समझौता, जीवन के लिए उच्च सिद्धांत, पर्यावरण के लिए जीवन शैली पहल, ऋण प्रबंधन पर एक समझ, महिला नेतृत्व पर एक आम सहमति विकास, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की स्वीकृति और वैश्विक कौशल मानचित्रण करने के लिए एक समझौता शामिल है।

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