उत्तर रेलवे की लखनऊ डिवीजन ने पिछले तीन सालों में एक चूहा पकड़ने के लिए खर्च किए ₹41 हजार। पिछले तीन सालों में 69.50 लाख़ खर्च कर पकड़े 168 चूहे। चूहे पकड़ने के लिए रेल्वे ने हर साल 23.36 लाख़ खर्च किए। 2022 में 58 हज़ार में पकड़ा गया एक चूहा।

2020 – 83 [27.9 हज़ार एक चूहा]
2021 – 45 [51 हज़ार एक चूहा ]
2022 – 40 [58 हज़ार एक चूहा]
हालांकि इसके बाद भी चूहों ने पार्सल विभाग साहित अलग-अलग विभागों में लाखों का नुकसान किया। मध्य प्रदेश के नीमच ज़िले के RTI एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौर के सावल पर रेलवे ने दिया जवाब। दरअसल, नीमच के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने चूहा पकड़ने के लिए रेलवे द्वारा खर्च की गई धनराशि की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी. जिसमें यह बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई.
बता दें कि उत्तर रेलवे में 5 मंडल हैं : दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, फिरोजपुर और मुरादाबाद। इन सभी मंडलों ने चूहा पकड़ने पर हुए खर्च की जानकारी दी. इसी क्रम में रेलवे के लखनऊ मंडल ने भी यह जानकारी दी. हालांकि लखनऊ मंडल रेलवे के पास इस यह जानकारी स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं है कि चूहों की वजह से कितना नुकसान हुआ. लेकिन 69 लाख रुपये खर्च कर महज 168 चूहों को पकड़ने वाली रेलवे की बात पर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं.

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