नई दिल्ली। जी20 बैठक में भारत ने उस काम को कर दिखाया जिसे दुनिया असंभव मान रही थी। पीएम मोदी से नफरत करने वाले लोग बोल रहे थे कि यूक्रेन के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पाएगी। भारत में होने वाला जी20 सम्मेलन पहला ऐसा सम्मेलन होगा जो बिना किसी घोषणापत्र के खत्म होगा। लेकिन भारत ने न केवल साझा घोषणापत्र जारी करवाया। बल्कि इसमें रूस के जिक्र के बिना यूक्रेन में लड़ाई का जिक्र कर अपने दोस्त को भी नाराज नहीं किया। इसके साथ ही पश्चिमी देशों को भी साध लिया। रूस जी20 का एहसान चुकाने के लिए भारत को एक बड़ा तोहफा देने जा रहा है। रूस ने भारत को ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम की बड़ी बैठक में शामिल होने के लिए अपने शहर व्लादिवोस्तोक बुलाया है। ये रूस का वहां शहर है, जो चीन से सटा हुआ है।

चीन लगातार व्लादिवोस्तोक पर कब्जा करने की कोशिश में लगा हुआ है। आप व्लादिवोस्तोक को रूस का बलूचिसतान भी कह सकते हैं। क्योंकि रूस का ये इलाका नैचुरल रिसोर्स का भंडार है। इसकारण चीन की गंदी नजरें यहां गड़ी हुई हैं। व्लादिवोस्तोक पर एक समय में चीनी राजशाही चलती थी। तब वहां चिंग साम्राज्य का राज था और शहर का नाम भी हिशेनवई था। साल 1839 में पहले अफीम युद्ध के वक्त जब ब्रिटेन ने हमला किया, तब शहर को कब्जे में लेकर उसका नाम पोर्ट में कर दिया गया। बयान के अनुसार यहां दौरे पर आए केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और सुदूर पूर्व एवं आर्कटिक के विकास के लिए रूसी संघ के मंत्री ए. ओ. चेकुनकोव के बीच समुद्री सहयोग पर चर्चा हुई।

इसके अनुसार दोनों नेताओं ने समुद्री सहयोग को व्यापक बनाने के लिए भारत और रूस के बीच समुद्री संचार से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की, जिनमें उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) के साथ-साथ व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के बीच पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) जैसे नए परिवहन गलियारों के इस्तेमाल की संभावना भी शामिल है। अभी यूरोप के रास्ते भारत से सुदूर पूर्व रूस तक माल परिवहन में तकरीबन 40 दिनों का समय लगता है जो इस कॉरिडोर के बनने से घटकर 24 दिन ही रह जाएगा। मुंबई और रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के बीच मौजूदा व्यापार मार्ग 8,675 समुद्री मील का है और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग में यह दूरी 5,600 समुद्री मील रह जाएगी।

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