प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस पर दसवीं बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। लेकिन इस संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जो चुनिंदा शब्द पूरा देश बीते नौ साल से स्वतंत्रता दिवस पर सुनता आया था वह बदले हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में “भाइयों बहनों” और “मेरे प्यारे देशवासियों” की जगह पर इस बार “परिवारजन” का जिक्र सबसे ज्यादा किया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से “परिवारजन” का जिक्र किए जाने के पीछे कई सामाजिक और राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। पीएम मोदी के भाषणों समेत उनके ‘कम्युनिकेशन स्किल’ पर शोध करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी ने ऐसा करके आने वाले चुनावों में ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचने की अपनी एक बड़ी पैठ को बढ़ाया है।
भारतीय परंपरा में परिवार अभी भी सबसे मजबूत डोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने भाषण में दो दर्जन से ज्यादा बार परिवारजन का जिक्र करके इसके मायने निकालने के लिए विशेषज्ञों और विपक्षियों को मौका दे दिया। वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के भाषा और संचार के प्रोफेसर जगदीश नारायण कहते हैं कि जिन शब्दों में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की क्षमता होती है उन शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि आम बोलचाल की भाषा में भी सबसे ज्यादा किया जाता है।
रही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, तो बार-बार अपने भाषण में परिवारजन का जिक्र कर निश्चित तौर पर इससे वह देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सीधे तौर पर अपना ‘कनेक्ट’ और मजबूत करना चाह रहे होंगे। उनका मानना है कि भारतीय परंपरा में परिवार अभी भी सबसे मजबूत डोर के तौर पर देखा जाता है। ऐसे में अगर प्रधानमंत्री जैसी बड़ी शख्सियत देश के लोगों खासतौर से गरीब तबके से जुड़े परिवारों को अपना परिवारजन बताते हैं तो उसका बड़ा असर होता है।
पीएम मोदी के भाषणों पर किए गए शोध
प्रोफेसर जगदीश नारायण का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा शैली और उनके भाषण में हमेशा दो तरफ संवाद होता रहा है। प्रोफेसर जगदीश कहते हैं कि उनके विभाग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों पर और उनके कम्युनिकेशन के तरीकों पर छात्रों ने कई तरह के शोध भी किए हैं। उसे शोध के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीते कई सालों के भाषणों को चिन्हित किया गया और उस पर गहन रिसर्च की गई। हर भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ दो तरफा संवाद को प्रमुखता देते हैं बल्कि उन शब्दों का हमेशा से इस्तेमाल करते हैं जो कि लोगों से सीधे तौर पर जुड़ता है। उनका मानना है कि परिवारजन भी उसी का एक हिस्सा है।
‘परिवारजन’ का असर एक बड़े जनमानस पर तो पड़ेगा !
“सेंटर फॉर लिंग्विस्टिक एंड इट्स इंपैक्ट” के नेशनल कन्वीनर जेपी लोढ़ा कहते हैं कि भाषा और बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से आप बहुत हद तक लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। उनका कहना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में अलग-अलग मंचों से लोगों को हमेशा से प्रभावित करते आए हैं। उनका कहना है कि परिवार जन भारतीय परंपरा में जुड़ाव का मजबूत माध्यम है जिसमें लोग न सिर्फ अपनेपन का एहसास करते हैं बल्कि सीधे तौर पर उससे जुड़ते भी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वतंत्रता दिवस पर बार-बार बोले जाने वाले परिवारजन के असर को लेकर लोढ़ा कहते हैं कि निश्चित तौर पर इसका असर एक बड़े जनमानस पर तो पड़ेगा ही। उनका कहना है कि वह इस मामले में कोई राजनैतिक बात तो नहीं कर रहे हैं लेकिन यह बात चाहे मोदी पर लागू हो या अन्य विपक्ष के किसी नेता पर। जो जनता से सीधे तौर पर मिलेगा, बात करेगा, संवाद करेगा या उनकी तरह उनके सामने पेश आएगा तो उसको सियासी लाभ भी मिलेगा। वह कहते हैं राजनीति में भाषा और बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल हमेशा से होता आया है और उसका जनता में असर भी दिखता है।
कांग्रेस पार्टी ने लगाए आरोप !
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले से दिए गए डेढ़ घंटे के भाषण के दौरान परिवारजन शब्द को लेकर सियासत भी होने लगी है। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के मद्देनजर अपने पूरे डेढ़ घंटे के भाषण में सियासी शब्द ही बोले हैं। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा जीवन देश के लिए ही समर्पित है। इसलिए पूरे देश के लोग उनके परिवारजन हैं। और वह अपने देश के प्रत्येक नागरिक और प्रत्येक घर को परिवार ही मानते हैं।
हालांकि अनुराग ठाकुर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह भी कहते हैं कि कुछ लोगों के लिए देश के मतदाता राक्षस हो सकते हैं लेकिन हमारे लिए देश का प्रत्येक नागरिक और घर मेरा अपना घर है और मेरे अपने परिवार वाले हैं।
पीएम मोदी का भाषण लोकसभा चुनावों के लिहाज से ज्यादा भरा हुआ! !
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दसवीं बार लाल किले से दिया जाने वाला भाषण 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से ज्यादा भरा हुआ दिखा। राजनीतिक विश्लेषक सत्यपाल पुंडीर कहते हैं कि इस भाषण में प्रधानमंत्री ने जिस तरीके से शब्दों का इस्तेमाल किया वह आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सेट किए जाने वाले नैरेटिव के तौर पर दिखा।
लाल किले की प्राचीर से pm मोदी द्वारा दिये गए भाषण के प्रमुख अंश –
- PM मोदी बोले- अगली बार इसी लाल किले पर अधिक आत्मविश्वास के साथ आऊंगा, बोले- राजनीति से परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण से मुक्ति जरूरी; देश को 3 गारंटी दीं,
- लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी का 90 मिनट तक भाषण, मणिपुर पर शांति संदेश, परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर हमला.
- शहर में घर का सपना पूरा करेगी मोदी सरकार, मध्यमवर्ग के लिए PM ने लाल किले से नई योजना का किया ऐलान.
- सिलसिलेवार बम धमाकों के दिन खत्म, आतंकी घटनाओं में कमी आई- लाल किले से बोले पीएम मोदी
- कश्मीर से कन्याकुमारी तक आजादी का जश्न, तटरक्षक बलों ने समुद्र में फहराया तिरंगा, केदारनाथ-बद्रीनाथ में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगे.
- दुनियाभार से 15 अगस्त पर मिली देश को बधाई, पुतिन ने दी शुभकामनाएं तो मैक्रों ने हिंदी में लिखा पीएम मोदी को संदेश.
- पीएम मोदी ने की मनमोहन सिंह की बराबरी,लाल किले पर जवाहरलाल नेहरू ने फहराया सबसे ज्यादा बार तिरंगा,देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लगातार 17 साल ध्वजारोहण किया.
- खाली पड़ी रही कांग्रेस की कुर्सी, स्वतंत्रता दिवस समारोह में नहीं पहुंचे मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस का कहना है खराब स्वास्थ्य के कारण नहीं पहुंच सके।