भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 6 से 15 अक्टूबर के बीच हो सकता है। इसके साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी। जानकार कहते हैं कि चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट के अंतिम प्रकाशन की अंतिम तारीख 4 अक्टूबर तय की है। इसके बाद 10 दिन में कभी भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो सकती है। ऐसे में सरकार के पास चुनावी घोषणाएं और विकास कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन करने के लिए सिर्फ 2 महीने का वक्त है। आचार संहिता के दौरान अधिकांश सरकारी कामों पर अस्थाई रोक लग जाती है। ये वो काम होते हैं, जिनसे सरकार को फायदा होने का अंदेशा होता है।

चालू कामों को नहीं रोक सकती आचार संहिता : ओपी रावत
पूर्व केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि आचार संहिता सरकार के चालू कामों को कतई नहीं रोकती है। मतलब ये है कि जो काम चल रहे हैं, जिनका बजट स्वीकृत है, वे सभी निरंतर जारी रहेंगे। कोई नए काम जो लोकहितकारी हों, उसकी न तो घोषणा होगी और न ही शुरू किए जा जाएंगे। सरकार कोई वादा भी नहीं कर सकती है। यदि कोई योजना लागू होने की दहलीज पर है और इस बीच आचार संहिता लागू हो जाती है तो सरकार पूरे प्रमाण चुनाव आयोग भेज सकती है कि इस योजना का बजट स्वीकृत है। आगे की प्रक्रिया चल रही है। ऐसी स्थिति में आयोग परीक्षण कर इसे अनुमति भी दे सकती है।
आचार संहिता और मतदान की तारीख के बीच 40 से 55 दिन का गैप
पिछले तीन चुनाव के ट्रेंड को देखें तो मध्य प्रदेश में आचार संहिता लागू होने और मतदान की तारीख के बीच 40 से 55 दिन का गैप था। ऐसे में संभावना है कि इस चुनाव में आचार संहिता 6 से 15 अक्टूबर के बीच लग जाएगी और मतदान नंवबर के अंतिम या दिसंबर के पहले सप्ताह में होगा। 2018 में चुनाव का ऐलान 6 अक्टूबर को हुआ था। मतदान 28 नंवबर और मतगणना 11 दिसंबर को हुई थी। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत कहते हैं कि मिजोरम सरकर का कार्यकाल 17 दिंसबर को खत्म हो जाएगा। ऐसे में मतगणना 5 से 10 दिसंबर के पहले हो जाना चाहिए। इस हिसाब से देखें तो आयोग अक्टूबर के मध्य तक चुनाव का ऐलान कर सकता है।

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