बीजिंग। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने दलाई लामा से मुलाकात क्या कर ली कि चीन ने इसे अपराध घोषित कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा से अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने मुलाकात की। नई दिल्ली में हुई इस मुलाकात पर चीन आगबबूला हो गया है। चीन ने एक एक बयान जारी करके हलचल मचा दी है। चीन ने इस मुलाकात को पूरी तरह से अपराध करार दिया और कहा कि यह चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। इससे पहले रविवार को अमेरिकी राजदूत गार्सेटी और तिब्बतियों पर अमेरिका की विशेष समन्वयक उजरा जेया ने दलाई लामा से मुलाकात की थी। इस दौरान तिब्बतियों की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेनपा त्सेरिंग भी मौजूद थे। इससे पहले दलाई लामा ने खुलासा किया था कि चीन ने उनसे संपर्क की कोशिश की है। नई दिल्ली में चीन के दूतावास ने एक बयान जारी करके कहा कि गार्सेटी का दलाई लामा से मिलना चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। चीन ने कहा कि किसी भी विदेशी ताकत को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। चीन विदेशी अधिकारियों और तिब्बती स्वतंत्रता चाहने वाली ताकतों के बीच किसी भी प्रकार संपर्क का कड़ा विरोध करता है।
चीन ने तो यहां तक कहा कि तिब्बती मामलों पर विशेष अमेरिकी दूत का मिलना पूरी तरह से अपराध है। यह कदम चीन के आंतरिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप है। यह तिब्बत में विकास और स्थिरता को कमतर करता है। चीन इसका हमेशा से ही विरोध करता रहा है और कभी भी इसको मान्यता नहीं दी है। उसने दावा किया कि 14वें दलाई लामा किसी भी तरह से धार्मिक चेहरा नहीं हैं, इसकी बजाय वह एक राजनीतिक निर्वासित व्यक्ति हैं जो चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। साथ ही तिब्बत को चीन से अलग करना चाहते हैं।
चीन ने तिब्बत की निर्वासित सरकार को लेकर भी हमला बोला और इसे गैरकानूनी तथा चीन के संविधान के खिलाफ करार दिया था। यही वजह है कि चीन ने अमेरिका से कहा कि वह तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने के अपने वादे को पूरा करे, साथ ही चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करे। इसके अलावा दलाई लामा की अलगाववादी नीतियों को समर्थन देना बंद करे। बता दें कि इससे पहले दलाई लामा ने खुलासा किया था कि चीन उनके साथ बातचीत करना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बत स्वतंत्रता चाहता है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से ही चीन के साथ बातचीत करना चाहते हैं।