वाशिंगटन। अमेरिकी सांसदों ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय मिशन पर दूसरे हमले के बाद विदेश विभाग से भारतीय राजनयिकों और राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। उन्होंने विदेश मंत्रालय से जिम्मेदार लोगों को पकड़ने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम करने का भी आह्वान किया। मार्च में हुए हमले के कुछ ही महीनों बाद सुरक्षा उल्लंघन की दूसरी घटना में दो लोगों ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के प्रवेश द्वार में आग लगा दी।

शनिवार की घटना में कोई हताहत नहीं हुआ और स्थानीय अग्निशमन विभाग ने आग बुझा दी। अमेरिकी कांग्रेस के सदस्‍य रो खन्ना और माइकल वाल्‍ट्ज ने कहा, इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष के रूप में हम सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी और बर्बरता के प्रयास तथा राजदूत संधू सहित भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसक बयानबाजी की कड़ी निंदा करते हैं। डेमोक्रेट सांसद खन्‍ना और रिपब्लिकन सांसद वाल्ट्ज खालिस्तान के लिए लड़ने का दावा करने वाले एक समूह द्वारा भारतीय राजदूत संधू को व्यक्तिगत धमकियों का जिक्र कर रहे हैं।

समूह के महावाणिज्य दूत और संस्थापक गुरपतवंत पन्नून को भारत ने 2022 में आतंकवादी घोषित किया था।संधू जैसे भारतीय राजनयिकों को उनके नाम से सार्वजनिक रूप से धमकियां देने के बावजूद अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाने से इनकार किया है। पन्नून ने फिर एक वीडियो संदेश में अपनी धमकियों को दोहराया हैं। इन अफवाहों को लेकर कई चर्चाएँ हैं। उसमें से एक, और सबसे विश्वसनीय, यह है कि पन्नून ने इन अफवाहों को स्वयं फैलाया होगा क्योंकि वह सैन फ्रांसिस्को में भारतीय मिशन पर हमलों के बाद अमेरिकी अधिकारियों द्वारा जांच और अभियोजन से बचने की कोशिश कर रहा है।

खन्ना और वाल्ट्ज ने कहा, हम प्रत्येक अमेरिकी के लिए स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करते हैं, लेकिन यह संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या हिंसा भड़काने का लाइसेंस नहीं है। उन्होंने कहा, राजनयिक सुविधाओं के खिलाफ हिंसा एक अपराध है और इस बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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