नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा है कि 3,250 करोड़ रुपए के ऋण धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है। बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को. यह मामला बैंक द्वारा वीडियोकॉन ग्रुप ऑफ कंपनीज को स्वीकृत कर्ज में कथित तौर पर धोखाधड़ी और अनियमितता से जुड़ा हुआ है। विशेष लोक अभियोजक ए लिमोसिन द्वारा प्रस्तुत जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने इस साल 22 अप्रैल को पारित एक प्रस्ताव में कोचर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को पिछले वर्ष दिसंबर में गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को भी गिरफ्तार किया था।
बंबई हाई कोर्ट ने बाद में चंदा कोचर और उनके पति को अंतरिम जमानत दे दी थी। सीबीआई ने दीपक कोचर, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा प्रबंधित कंपनियों नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल) के साथ कोचर दंपति और धूत को आरोपी बनाया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं। बता दें कि इस लोन को बाद में बैंक ने एक नान परफार्मिंग एसेट घोषित कर दिया था। घोटाले के आरोप में चंदा कोचर को साल 2018 में अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। इस फ्राड केस के मामले में कोचर दंपती को 23 दिसंबर को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार भी कर लिया गया था। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट से बाद में दंपती को जनवरी, 2023 में जमानत मिली थी।