टोक्यो। एक समय था जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के मामले में अमेरिका की बढ़त किसी दूसरे देश की पहुंच से बाहर थी। लेकिन चीन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर तेजी से काम किया है। चीन अपनी सैन्य ताकत में इजाफा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार हाल के दिनों में चीन लगातार अमेरिका और उसके सहयोगी ताइवान के पास के समुद्री इलाकों पर सैन्य क्षमताओं को तेजी से विकसित कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार चीन के सैन्य जानकारों ने कहा कि ड्रैगन इंटेलिजेंस वॉर पर ध्यान दे रहा है। उनका मकसद है एआई की मदद से वहां दुश्मन देशों के इच्छाशक्ति पर अपना कंट्रोल बना सके। चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सामने वाले दुश्मन देशों के सीनियर राजनेताओं पर अपना नियंत्रण कायम कर सके। न्यू सूचना टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ और वाशिंगटन स्थित हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैक के साथ कोइचिरो ताकागी ने कहा कि पीपुल्लस लिबरेशन आर्मी ने ये नहीं बताया है कि वहां मानव अनुभूति को कंट्रोल करने के लिए एआई का उपयोग कैसे करना चाहता है।

करीब दो साल पहले एक खबर सामने आई थी जिसमें दावा किया गया था कि चीन द्वारा फाइटर जेट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की टेस्टिंग किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन जे-16 लड़ाकू विमान को किसी मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) की तरह इस्तेमाल करने में सक्षम है। जिसमें पायलट की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे युद्ध के दौरान पायलटों की जान का खतरा कम हो जाएगा। इसके अलावा इससे हवाई क्षमता में भी भारी बढ़ोतरी होगी। मीडिया रिपोर्टों में चीन स्थिति को बढ़ाने के लिए मशीन गन से चलने वाले रोबोटों को सीमा पर भेजने की जानकारी भी पहले सामने आ चुकी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हथियारों और आपूर्ति दोनों को ले जाने में सक्षम दर्जनों स्वायत्त वाहनों को तिब्बत भेजे जाने की बात सामने आई थी। शार्प क्लॉ, जिसे वायरलेस तरीके से संभाला जा सकता है और जो हल्की मशीनगन से लैस है। इसके अलावा मुले-200 को तैनात किया गया है जो मानवरहित सप्‍लाई वाहन है, लेकिन इसमें भी हथियार को लगाया जा सकता।

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