कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया व पा‎किस्तान में आए भूकंप ने सभी को ‎हिलाकर रख ‎दिया है। आस्ट्रे‎लिया के मेलबर्न शहर में रविवार रात को तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। एक भूकंप विज्ञानी से ‎मिली जानकारी के अनुसार के अनुसार मेलबर्न को हिलाकर रख देने वाला 3.8 तीव्रता का भूकंप 120 से अधिक वर्षों में शहर में आया सबसे बड़ा भूकंप था। मेलबर्न के उत्तर-पश्चिम किनारे पर सनबरी के पास रात 11:41 बजे तीन किमी की अनुमानित गहराई पर भूकंप के झटकों की सूचना ‎मिली। ‎मिली जानकारी के अनुसार 22,000 से अधिक लोगों ने भूकंप की जानकारी देने के लिए एजेंसी से संपर्क किया। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भूकंप पांच से 10 सेकेंड तक चला और तस्मानिया में होबार्ट तक महसूस किया गया। लोगों ने सोशल मीडिया पर भूकंप के दौरान की क्लिप भी शेयर की है। हालांकि रविवार को मेलबर्न में आया भूकंप 2021 में विक्टोरिया को हिलाकर रख देने वाले झटकों से काफी कम था। उस भूकंप की तीव्रता 5.9 थी। भूकंप विज्ञान अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक एडम पास्केल ने कहा ‎कि यह भूकंप सितंबर 2021 की तुलना में 100 गुना छोटा है लेकिन यह मेलबर्न के काफी करीब था। इसलिए यह समान तीव्रता के साथ लेकिन कम अवधि के लिए महसूस किया गया।

जब मेलबर्न के लोगों ने सोमवार की सुबह अपने घरों और दुकानों को चेक किया। भूकंप से मामूली क्षति और दरारें पैदा हो सकती हैं। मेलबर्न के बिल्डिंग कोड को नई व्यावसायिक और आवासीय इमारतों की जरूरत है जो 6.5 और 7 तीव्रता के बीच के भूकंप का सामना करने में सक्षम हों। लेकिन यहां घरों के लिए कोई नियम नहीं है, न ही 1989 से पहले बनी इमारतों के लिए। रविवार की रात, स्टेट इमरजेंसी सर्विस ने कहा कि वह एक चालक दल को एक इमारत का निरीक्षण करने के लिए भेज रहा है जिसमें दरारों की सूचना मिली है।

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रविवार को भूकंप के दो झटकों से कम से कम तीन बच्चे घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) के अनुसार, रविवार सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर पाकिस्तान के कई हिस्सों में 6.0 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे दहशत फैल गई और लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने को मजबूर होना पड़ा। इस्लामाबाद स्थित राष्ट्रीय भूकंपीय निगरानी केंद्र के अनुसार भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान का सीमावर्ती क्षेत्र था और यह 223 किलोमीटर की गहराई में आया, जिसके चलते इसका विनाशकारी प्रभाव नहीं हुआ।

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