सैन फ्रांसिस्कों। सौरमंडल से बाहर मिल्की खगोलविज्ञानी गैलेक्सी में ही मौजूद पिंडों की महीन विकिरण की जानकारी हासिल करने में कड़ी चुनौतियां का सामना कर रहे हैं। इनमें से एक चुनौती है किसी मैग्नेटिक फील्ड वाले पिंड की रेडिएशन बेल्ट को देख पाना। अभी तक दूर के पिंडो की रेडिएशन बेल्ट को देख पाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था।
नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक तारे की रेडियशन बेल्ट को देखने मे सफलता पाई है.एक तरहसे कहा जा सकता है कि जिस भी पिंड में चाहे वह तारा हो या फिर कोई ग्रह, यदि उसमें मैग्नेटिक फील्ड है तो उसमें रेडिएशन बेल्ट जरूर होगी।सौरमडंल के मैग्नेटिक फील्ड वाले सभी ग्रह की रेडिएशन बेल्ट होती है।डोनट के आकार के ये क्षेत्र मैग्नेटिक फील्ड से सीमित होते हैं जहां महीन कण आते हैं और त्वरित होकर रेडियो प्रकाश में चमकते हैं।लेकिन इस रेडिएशन बेल्ट से निकलने वाला विकिरण या उत्सर्जन बहुत ही कमजोर होता है।ऐसे में सौरमंडल से बाहर रेडिएशन बेल्ड की कमजोर चमक या उत्सर्जन की पहचान करना असंभव के करीब होता है।
इसलिए जब खगोलविदों ने सौरमंडल के बाहर के एक पिंड की रेडिएशन बेल्ट की पहली बार तस्वीर ली तो यह बड़ी उपलब्धि ही मानी जा रही है.जिस पिंड की पहचान की गई है वह एक बहुही कम भार वाला लाल बौना तारा है जिसका नाम एलएसआर जे1835+3259 है।आकार में इसका व्यास गुरु ग्रह के व्यास से कुछ ही बड़ा है ,लेकिन इसका भार गुरु ग्रह के भार से 77 गुना ज्यादा है और यह पृथ्वी से केवल 20 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है।सांता क्रूज के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्नया के खगोलविद मेलोडी काओ का कहना है कि उनकी टीम ने वातव मे एक मैग्नेटोस्फियर की तस्वीर ली है इसके लिए शोधकर्तों ने रेडिया उत्सर्जन करने वाले प्लाज्मा का अवलोकन किया था।यानि कि वे मैग्नेटोस्फियर में रेडिएशन बेल्ट का अवलोकन कर रहे थे।इससे पहले सौरमंडल के बाहर किसी विशाल गैसीय ग्रह के आकार के पिंड के साथ ऐसा कभी नहीं किया गया था।
पृथ्वी की रेडिएशन बेल्ट को वैन एलन बेल्ट कहते हैं जिसमें सौर पवन के कण भरे होते हैं।शनि, नेप्चूयन यूरेनस, बुध सभी के पास रेडिएशन बेल्ट हैं।गुरु के रेडिएशन बेल्ट में उसके ज्वालामुखी वाले चंद्रमा लू की भूमिका है।वहीं गुरु के गैनीमैड एकमात्र ऐसा चंद्रमा है जिसकी खुद की रेडिएशन बेल्ट है। लेकिन अमूमन सौरमंडल से बाहर के पिंडों में रेडिएशन बेल्ट अभी तक दिखाई नहीं दी थी.लेकिन ना दिखने के बाद भी सौरमंडल में कई जगहों पर रेडिएशन बेल्ट की उपस्थिति के संकेत देखने को मिले हैं।कम भार वाले तारों या भूरे बौनों मं उसी तरह की गतिविधि देखने को मिली है जो रेडिएशन बेल्ट की वजह से ग्रहों के ऑरोरा में दिखाई देती है।
ऑरोर कई ग्रहों में त्वरित आवेशित कणों के मैग्नेटिक फील्ड के अनुकूल एक धारा में चलते हैं और फिर ग्रह के वायुमंडल से उनकी अंतरक्रिया रंगीन नजारा निर्मित करती है.इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एलएसआर जे1835+3259 नाम के पिंड ऑरोर गतिविधि के संकेत देखे थे जिससे उसमें मैग्नेटिक फील्ड होने का पता चला जिसके बाद शोधकर्ताओं ने उसमें रेडिएशन बेल्ट की तलाश की।