हिरोशिमा। खाद्यान्न, उर्वरक और स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने की अपनी 10 सूत्रीय कार्य योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समावेशी खाद्य प्रणाली तैयार करने का हिरोशिमा में शनिवार को आह्वान किया, जो दुनिया के सबसे कमजोर लोगों पर ध्यान केंद्रित करे। हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के एक सत्र में मोदी ने उर्वरक संसाधनों पर कब्जा करने वाली विस्तारवादी मानसिकता पर रोक लगाने की हिमायत की और प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण की पैरोकारी की।

प्रधानमंत्री मोदी की 10 सूत्रीय कार्य योजना में भोजन/खाद्यान्न की बर्बादी को कम करना, वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला का गैर-राजनीतिकरण, मोटे अनाज/श्रीअन्न को बढ़ावा देना, समग्र स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देना, डिजिटल स्वास्थ्य सुविधा को मजूबत करना और विकासशील देशों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकास मॉडल तैयार करना शामिल है। मोदी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के समग्र उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है और उपभोक्तावाद से प्रेरित विकास मॉडल को बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समावेशी खाद्य प्रणाली बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए जो दुनिया के सबसे कमजोर लोगों पर केंद्रित हो, विशेष रूप से सीमांत किसान हमारी प्राथमिकता होने चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना होगा। इसमें राजनीतिक बाधाओं को दूर करना होगा। उर्वरक संसाधनों पर कब्जा करने वाली विस्तारवादी मानसिकता को रोकना होगा। यह हमारे सहयोग का उद्देश्य होना चाहिए। हालांकि प्रधानमंत्री ने किसी देश का नाम नहीं लिया।पीएम मोदी ने खाघान्न की बर्बादी रोकने पर जोर देते हुए कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्थायी वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है। जी-7 में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान के साथ-साथ यूरोपीय संघ भी शामिल हैं। जी-7 की अध्यक्षता के तहत जापान ने भारत और सात अन्य देशों को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है।

पीएम मोदी ने विकास, प्रौद्योगिकी और लोकतंत्र पर एक साथ ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण आवश्यक है। प्रौद्योगिकी विकास और लोकतंत्र के बीच एक सेतु बन सकती है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विकास के मॉडल को कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और विकासशील देशों की प्रगति में बाधा नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आज की हमारी चर्चा जी-20 और जी-7 के एजेंडे के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाने में उपयोगी होगी। ‘ग्लोबल साउथ’ की आशाओं और अपेक्षाओं को प्राथमिकता देने में सफल होगी।

 

प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम दुनिया भर में उर्वरकों के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती का एक नया मॉडल बना सकते हैं। मेरा मानना है कि हमें डिजिटल तकनीक का लाभ दुनिया के हर किसान तक पहुंचाना चाहिए। मोदी ने कहा कि आर्गेनिक फूड को ‘चलताऊ बयानों और वाणिज्य’ से हटकर देखने की आवश्यकता है और इसके बजाय इसे पोषण और स्वास्थ्य से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने मोटे अनाजों के फायदों के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि मोटे अनाज एक साथ पोषण, जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करता है। इस पर जागरुकता पैदा की जानी चाहिए।

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