भोपाल। राज्य सरकार के पास काम करने के केवल 93 कार्यदिवस शेष हैं। अभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक हजार 188 घोषणाएं अधूरी हैं, जिन्हें पूरी करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सूत्रों की माने तो 23 मार्च 2020 को चौथी बार सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री ने तीन साल में दो हजार 387 घोषणाएं की हैं। इनमें से अधूरी घोषणाओं में से कुछ केंद्र सरकार से संबंधित हैं। जिन्हें पूरा करने की समयसीमा राज्य सरकार तय नहीं कर सकती है।
प्रदेश में नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इसके डेढ़ माह पहले (यानी अक्टूबर के पहले सप्ताह में) आचार संहिता प्रभावी हो जाएगी। इस हिसाब से देखें तो सरकार के पास अपने वादे पूरे करने के लिए साढ़े चार माह का ही समय है। इसमें से शनिवार-रविवार और जयंती, त्योहार के अवकाश को हटा दें तो केवल 93 कार्यदिवस हैं। इतने कम समय में एक हजार 188 घोषणाओं को पूरा करना आसान नहीं हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अपनी घोषणाओं को लेकर चिंतित हैं और लगातार समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने पिछले माह विभागवार समीक्षा की है।
निकायों की स्थिति खराब
मुख्यमंत्री की घोषणाएं पूरी करने में मामले में निकायों की स्थिति सबसे खराब है। नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न कार्यों के लिए मुख्यमंत्री ने तीन साल में 425 घोषणाएं की हैं, इनमें से अब तक 215 ही पूरी हो पाई हैं। दूसरे नंबर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग है। इस विभाग में भी 285 में से 127 घोषणाएं अधूरी हैं। सड़क, पुल और पुलिया के निर्माण से संबंधित 108 घोषणाएं लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने 162 घोषणाएं की थीं।
घोषणाओं को लेकर घेर रही कांग्रेस
विधानसभा चुनाव में मुख्य विरोधी दल के रूप में सामना करने वाली कांग्रेस मुख्यमंत्री की घोषणाओं को ही प्रचारित कर रही है। हाल ही में भोपाल में आयोजित जाट महाकुंभ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के सामने जब जाट समाज ने मांग पत्र रखा, तो उन्होंने साफ कहा कि मैं घोषणा की मशीन नहीं हूं। क्रियान्वयन में विश्वास रखता हूं और आपके अगले कार्यक्रम में हिसाब दूंगा। कांग्रेसी इससे पहले भी मुख्यमंत्री की घोषणाओं को लेकर टिप्पणी करते रहे हैं। ऐसे में सरकार पर घोषणाएं पूरी करने का दवाब बढ़ रहा है।