मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम 30 रुपये तक कम करना चाहती है। इसके लिए दो बार बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पाई है। मध्यप्रदेश सरकार ही केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ है।यह बातें आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनकर सबनीस ने ने एक अखवार से विशेष बातचीत के दौरान कही। वे इंदौर में आयोजित अभ्यास मंडल की व्याख्यानमाला में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देशभर में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है। यदि यह संभव हुआ तो देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम में बड़ा भारी अंतर आएगा। सबनीस ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में दो बैठकें हुई हैं जिसमें हम राज्यों को इससे होनो वाले फायदे बता चुके हैं।

मध्यप्रदेश सरकार का डर गलत

सबनीस ने कहा मध्य प्रदेश सरकार समेत अन्य राज्यों को यह आशंका है कि जीएसटी के दायरे में पेट्रोल और डीजल के आने से उनकी कमाई में भारी गिरावट आएगी। इस पर केंद्र सरकार उन्हें अतिरिक्त सहयोग देने के लिए तैयार है लेकिन इसके बावजूद कुछ राज्य इस पर सहमति नहीं बना पा रहे हैं।

उप्र में पेट्रोल डीजल मप्र से सस्ता फिर भी वहां हो रहा तेज विकास

सबनीस ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र के इस निर्णय पर मौखिक सहमति दे चुकी है। वहां पहले से ही मध्यप्रदेश की तुलना में पेट्रोल और डीजल के दाम बहुत कम हैं फिर भी वह यह नहीं कह रहे की राज्य का बजट कम हो जाएगा या विकास कार्यों पर असर पड़ेगा जबकि मप्र में कहा जाता है की इससे राज्य का बजट कम हो जाएगा और विकास कार्यों पर असर पड़ेगा। यदि मध्यप्रदेश सरकार और अन्य सभी राज्य इस पर सहमति बना लें तो देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम बहुत कम हो जाएंगे। सबनीस ने इसके अलावा कई अन्य विषयों पर भी बातचीत की और कहा कि ग्राहकों को जागरूक होना पड़ेगा तभी बाजार बेहतर बनेंगे।

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