भोपाल l मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर 46 महीने में भत्ता और एरियर नहीं देकर 9775 करोड़ रुपये बचाने का आरोप लगाया है। इसमें सबसे ज्यादा प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के अधिकारी को 1 लाख 85 हजार से 4 लाख 65 हजार रुपये तक का नुकसान होने की गणना की गई। इसके बाद तृतीय श्रेणी के अधिकारियों 64 हजार से 1 लाख 20 हजार रुपये और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 51 हजार से 60 हजार रुपये तक के नुकसान का आकलन किया गया।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि नुकसान की गणना पिछले जुलाई 2019 से अप्रैल 2023 तक महंगाई भत्ते का एरियर नहीं देने को लेकर की गई। इसमें केंद्र सरकार की तरफ से जारी महंगाई भत्ते के अनुसार गणना की गई। इसमें इंक्रीमेट नहीं लगाया गया है। तिवारी ने बताया कि सरकार ने मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता केंद्रीय तिथि एवं केंद्रीय दर से न देकर पिछले 46 महीने में लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कई मौकों पर कहा है कि हम कर्मचारियों की पाई पाई देंगे।
केंद्र द्वारा जब भी महंगाई भत्ता बढ़ता है, राज्य शासन द्वारा समय पर ना देने से कर्मचारियों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। एक तरफ देश के जनप्रतिनिधि वरिष्ठ प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भारी वेतन पाने के बाद भी परेशान हैं फिर छोटे से वेतन में काम चलाने वाले कर्मचारियों को कितना संकट झेलना पड़ता होगा यह सोचने की बात है।
तिवारी ने बताया कि जुलाई 2019 में 12 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा था, उस समय 17 फीसदी की घोषणा हुई। इसके बावजूद 5 फीसदी महंगाई भत्ता नहीं दिया गया। इस प्रकार 12 फीसदी महंगाई भत्ता सितंबर 2021 तक मिलता रहा। कुल 27 महीने तक 5 फीसदी महंगाई भत्ता नहीं बढ़ा। एक अक्टूबर 2021 से महंगाई भत्ते में आठ फीसदी की बढ़ोतरी की गई और 20 फीसदी महंगाई भत्ता प्रदान किया गया। उसके बाद भी जब भी महंगाई भत्ता बढ़ा है। उसमें केंद्रीय दरों और केंद्रीय तिथि का पालन नहीं होने से कर्मचारियों को नुकसान हुआ।