प्रयागराज  l उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए प्रयागराज लाए गए माफिया अतीक अहमद के आर्थिक साम्राज्य पर बुधवार को एक बड़ी चोट हुई। उस पर दर्ज मनी लांड्रिंग केस की जांच में जुटी प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने बसपा के पूर्व विधायक आसिफ जाफरी समेत उसके 15 करीबियों के ठिकानों पर एकसाथ छापे मारे। इनमें शहर के नामचीन बिल्डर संजीव अग्रवाल, कार शोरूम मालिक दीपक भार्गव और चायल के पूर्व विधायक आसिफ जाफरी के अलावा अतीक के एकाउंटेंट भी शामिल हैं। इस दौरान एक करोड़ नकद, गहने व संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। साथ ही अबतक की छानबीन में 100 करोड़ की बेनामी संपत्तियों का भी खुलासा हुआ है। कार्रवाई देर शाम तक जारी थी। प्रवर्तन निदेशालय की अलग-अलग टीमें सुबह अतीक के करीबियों के ठिकानों पर धमक पड़ीं। करेली, लूकरगंज, धूमनगंज के साथ ही सिविल लाइंस स्थित माफिया के करीबियों के ठिकानों पर पहुंचकर अफसरों ने कार्रवाई शुरू की तो हड़कंप मच गया। टीमों ने चिह्नित लोगों के घरों के साथ ही कार्यालयों पर भी छापा मारा। यहां सबसे पहले पूरे परिसर को कब्जे में ले लिया गया। प्रवेशद्वार बंद कर दिए गए और बाहर सीआरपीएफ के जवान तैनात कर दिए गए। इसके बाद तलाशी ली गई।

बिल्डर संजीव अग्रवाल के सिविल लाइंस में एल्गिन रोड व कार शोरूम मालिक दीपक भार्गव के धूमनगंज सुलेमसराय स्थित घर व प्रतिष्ठानों में तलाशी के दौरान एक करोड़ नकद मिले। स्रोत की जानकारी न दे पाने पर टीम में शामिल अफसरों ने नकदी सीज कर दी। बिल्डर के घर के साथ ही एसपी मार्ग स्थित उसके जिम व कार्यालय पर भी घंटों तलाशी अभियान चलाया गया। उधर, दीपक के सुलेमसराय और सिविल लाइंस स्थित कार शोरूम पर भी छापा मारकर कुछ दस्तावेज कब्जे में लिए गए। उधर माफिया के करीबी और उमेश पाल हत्याकांड में सजायाफ्ता प्रीतम नगर निवासी खान शौलत हनीफ के अलावा लूकरगंज निवासी माफिया के अकाउंटेंट सीताराम शुक्ला, कालिंदीपुरम निवासी खालिद जफर, करेली निवासी मोहसिन व काली, भीटी निवासी वदूद के घर पर भी छापा मारा गया। इसके अलावा कौशाम्बी की चायल विधान सभा क्षेत्र के पूर्व बसपा विधायक आसिफ जाफरी समेत छह अन्य के आवास पर भी ईडी की टीम पहुंची। यहां कार्रवाई के दौरान बहुमूल्य गहने मिले। इसके अलावा बड़ी संख्या में सैकड़ों संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं। इनमें जमीनों के अलावा कई कंपनियों से भी जुड़े कागज शामिल रहे। सूत्रों का कहना है कि कार्रवाई के दौरान 100 करोड़ की बेनामी संपत्तियों का पता चला है। यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है, क्योंकि कार्रवाई देर शाम तक चल रही थी।

सूत्रों का कहना है कि ईडी ने जिन लोगों के ठिकानों पर छापा मारा, वह मनी लांड्रिंग मामले में रडार पर हैं। अतीक पर दर्ज मामले की जांच में इनके और माफिया व उसके खास गुर्गों के बीच लेनदेन के साक्ष्य ईडी को मिले हैं। इसी आधार पर यह कार्रवाई की गई। ईडी की कार्रवाई के दौरान 50 से अधिक बेनामी कंपनियों का भी पता चला है। ये वह कंपनियां हैं जिनमें प्रत्यक्ष रूप से अतीक और उसके कुनबे का कोई हक नहीं है लेकिन पर्दे के पीछे से इन कंपनियों का संचालन अतीक व उसका परिवार कर रहा था। इसके अलावा 200 बैंक खातों की भी जानकारी मिली है, जिसके जरिये माफिया और उसके परिजनों को आर्थिक मदद पहुंचाई जा रही थी। कार्रवाई की भनक किसी को न लग पाए, इसके लिए हर कदम पर गोपनीयता बरती गई। दरअसल कार्रवाई के लिए बनाई गई टीमों में प्रवर्तन निदेशालय की प्रयागराज के साथ ही लखनऊ इकाई के भी अफसर शामिल रहे। लखनऊ से देर रात ही अफसरों की टीम आ गई थी। यहां आने के बाद ट्रैवेल्स की गाड़ियां किराये पर ली गईं और फिर इन्हीं गाड़ियों पर सवार होकर टीमें अतीक के करीबियों के ठिकानों तक पहुंचीं।

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