पेरिस। प्राचीन मिस्र के महान राजा कहे जाने वाले रामसेस द्वितीय के ताबूत को पेरिस में पत्रकारों को दिखाया गया। सितंबर तक फ्रांस की राजधानी में ताबूत जनता को दिखाया जाएगा।

गौरतलब है कि रामसेस द्वितीय, जिन्हें रामसेस द ग्रेट के नाम से भी जाना जाता है, ने 13 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान 60 से अधिक वर्षों तक शासन किया और प्रमुख सैन्य विजय प्राप्त की। अपने शाशनकाल में रामसेस ने कई स्मारकीय निर्माण परियोजनाओं का निर्माण भी किया। वहीं अपने 100 से अधिक बच्चों के लिए भी समय निकाला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीले रंग का देवदार-लकड़ी का सरकोफैगस, जो लेटे हुए राजा को चमकीले रंगों में चित्रित करता है, जिसमें उसकी भुजाएँ उसकी छाती पर एक राजदंड और चाबुक को पकड़े हुए हैं, वास्तव में रामसेस द्वितीय का मूल ताबूत नहीं था।

ताबूत के किनारों पर बने शिलालेख बताते हैं कि लक्सर की राजाओं की घाटी में उनकी कब्र पर कब्र-लुटेरों द्वारा छापा मारने के बाद कैसे उनके शरीर को 1070 ईसा पूर्व से तीन बार स्थानांतरित किया गया था। इसी कारण रामसेस के ताबूत की खोज लगभग तीन सहस्राब्दी बाद में 1881 में की गई।

मिस्र के अवशेष लोगों के बीच बेहद प्रचलित हुए हैं। लगभग 14 लाख लोग चार साल पहले पेरिस में तूतनखामुन के बारे में एक प्रदर्शनी देखने आए थे।बता दें कि रामसेस द्वितीय प्रदर्शनी एक दौरे पर है जिसमें इस वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा भी शामिल हैं, लेकिन केवल फ्रांस को फ्रांसीसी वैज्ञानिकों की सहायता के लिए रामसेस का सरकोफेगस (ताबूत) दिखाने का अवसर प्राप्त हो रहा है, जिन्होंने 1976 में पेरिस की पिछली यात्रा के बाद ममी को नष्ट होने से बचाने में मदद की थी।

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