गरिमा सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर 55वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बनी हैं। पहले उन्होंने साल 2012 में सिविल सेवा की परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी का पद हासिल किया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के झांसी में एसपी सिटी के पद पर भी कार्य किया है।

वहीं, व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं भी घटित होती है जो ताउम्र न भूलने वाली यादें रह जाती हैं। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से एक ऐसी आईएएस अधिकारी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनसे एक समय में एक पुलिसकर्मी ने 100 रुपये की घूस मांगी थी।

IPS से IAS बनीं गरिमा

वहीं, आज वह आईएएस अधिकारी के पद पर आसीन हैं। 55वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बनीं गरिमा सिंह की कहानी बेहद रोचक है। उन्होंने देश की सबसे मुश्किल और सबसे प्रतिष्ठित संघ लोक सेवा आयोग यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से पहले आईपीएस की नौकरी ज्वाइन की। इसके बाद उन्होंने फिर से तैयारी कर आईएएस अधिकारी का पद हासिल किया।

55 वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनीं गरिमा सिंह

एक आईएएस अधिकारी बनीं गरिमा सिंह उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। उनका जन्म 14 फरवरी 1987 को यूपी के बलिया जिले में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन की है। वैसे तो गरिमा का बचपन से सपना था कि वह डॉक्टर बने लेकिन दूसरी ओर उनके पिता का सपना था कि वह बड़ी होकर सिविल सेवाओं में जाकर देश की सेवा करें। इसी तरह गरिमा ने अपने पापा का सपना साकार करते हुए 55 वीं रैंक हासिल कर एक आईएएस अधिकारी का पद ग्रहण किया।

पुलिस ने मांगी थी 100 रुपये की घूस

गरिमा सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने जीवन का एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वह कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर मॉल से अपने घर वापस लौट रही थी तो एक पुलिस अधिकारी ने उनसे ₹100 घूस देने के लिए कहा था। दरअसल वह कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद घर जा रही थी लेकिन उन्हें देरी हो गई थी। रास्ते में पड़ने वाले 1 पुलिस चेक पोस्ट पर उनका रिक्शा रोककर उनसे पूछताछ की और घूस देने के लिए कहा।

लेकिन गरिमा सिंह ने उन्हें घूस नहीं दी। तो अधिकारी ने उनसे कहा कि वह अपने घरवालों से बात कराएं। वह पुलिस के इस रवैया से काफी असहज हो गईं थी।

2012 में बनीं आईपीएस अधिकारी

गरिमा सिंह ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उन्होंने परीक्षा को पास करने के लिए दिन-रात मेहनत की। उन्होंने मजबूत रणनीति के साथ अपने प्रयासों को जारी रखा। गरिमा सिंह ने टाइम टेबल के साथ और सीमित किताबों के साथ अपनी पढ़ाई पर फोकस किया।

सिविल सेवा परीक्षा की पूरी तैयारी करने के बाद साल 2012 में उन्होंने सफलता प्राप्त करते हुए सिविल सेवा की फाइनल लिस्ट में अपनी जगह बनाई थी। तब उन्हें आईपीएस की नौकरी मिली थी।

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