कीव । रूस और यूक्रेन के बीच एक साल से युद्ध जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस समय यूक्रेन हथियारों और गोला-बारूद की भारी कमी से जूझ रहा है। ऐसे में उसने हमले कम कर दिए हैं। यूक्रेन की 59वीं मोटराइज्ड ब्रिगेड जहां पहले एक दिन में 20 से 30 शेल दागती थी, वहीं अब एक-दो या फिर बिना दागे ही काम चलाया जा रहा है।

वहीं यूक्रेन के सैन्य अधिकारियों के अनुसार एक दिन में 7 हजार 700 शेल दागे जाते हैं, यानी हर 6 सेकेंड में एक फायर होता है। रूस की बात करें तो वह भी अपने हथियारों को सुरक्षित रखना चाहता है और गोला-बारूद का कम इस्तेमाल कर रहा है। इसके बावजूद वह यूक्रेन से तीन गुना ज्यादा फायरिंग करता है। यूक्रेन का कहना है कि हथियारों की कमी की वजह से युद्ध क्षेत्र में आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है।

यूरोपीय यूनियन ने कहा था कि अगले साल तक यूक्रेन को 10 लाख आर्टिलरी शेल दी जाएंगी। नाटो ने कहा था कि यूक्रेन की मदद करने के लिए बड़ी मात्रा में गोला-बारूद देना आसान काम नहीं है। यूके के सैन्य सूत्रों का कहना है कि यूक्रेन को बाखमुत के जिस रास्ते से हथियारों की सप्लाई मिलती थी, वहां रूस ने कब्जा कर रखा है और इससे सप्लाई बाधित हो गई है। यूक्रेन की सेना ने भी कहा था कि शहर पर उनकी पकड़ तो बनी हुई है, लेकिन चुनौतियां बढ़ गई हैं।

उल्लेखनीय है कि यूक्रेन अकसर पश्चिमी देशों से हथियार मांगता रहता है। अमेरिका जैसे देश उसे एडवांस हथियार दे भी रहे हैं। वहीं रिपोर्ट ये भी थी कि यूक्रेन ने म्यूजियम में रखे अपने हथियारों को भी युद्ध में उतार दिया था। यूक्रेन की सेना ने सोवियत समय की 240 मिमी मोर्टार गन को भी युद्ध में उतार दिया। इसके अलावा भी पुरानी तकनीक से बने हथियारों का इस्तेमाल किया।

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