ग्वालियर, 07 जुलाई। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में बनाए जा रहे शौचालयों के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को अनियमितताओ की जांच का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने जांच के लिए अधिकारियों को दो माह की मोहलत दी है। आदेश में यह भी कहा गया है कि जो लोग शौचालय के नाम पर भ्रष्टाचार में दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। शौचालय बने नहीं राशि का हो गया भुगतान, भौतिक सत्यापन के बाद भी कार्रवाई नहीं….
दरअसल भिंड जिले की अटेर तहसील के ऐतहार गांव में रहने वाले ओम नारायण शर्मा ने अपनी पंचायत में शौचालयों के निर्माण के मद्देनजर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किए जाने संबंधी याचिका विगत वर्ष मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ में दायर की थी। याचिकाकर्ता ने आवेदन में लिखा है कि अकेले भिंड में ही शौचालयों के निर्माण में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। कई स्थानों पर भौतिक सत्यापन में शौचालय निर्मित नहीं मिले हैं, जबकि भुगतान ले लिया गया है। ऐसी स्थिति पूरे प्रदेश में है। ओम नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश सरकार और भिंड प्रशासन को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता उमेश बोहरे ने बताया कि मंगलवार छह जुलाई को उच्च न्यायालय ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि शौचालयों के निर्माण में भ्रष्टाचार की जांच करें। उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा है कि जो भी दोषी पाया जाए उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. सचिव, सरपंच या अधिकारी कोई भी हो उनसे भ्रष्टाचरण में आई राशि की वसूली भी की जाए।