उच्च न्यायालय से सुरक्षा की गुहार, कानूनविद भी असमंजस में
ग्वालियर, 9 फरवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में युवती की अपने ही पतियों से सुरक्षा की गुहार कानूनविदों के लिए असमंजस बन गई है। महिला मुरैना पुलिस से भी सुरक्षा की गुहार लगा चुकी है, लेकिन पुलिस उसकी फरियाद की संजीदगी समझ सकी न ही संवेदना। सुनिए समाज की संवेदनाओं की करुण कहानी….
दरअसल मुरैना जिले के सबलगढ़ कस्बे की युवती की बेहद छोटी उम्र में ही 5 साल पहले शादी हुई थी। जिसे उसने जन्म-जन्मांतर का सहारा माना था उसने साल भर के अंदर ही पत्नी को अनजान आदमी को बेच दिया। खरीदार ने साल उपभोग और दो बेटियों की मां बनाने के बाद उसे राजस्थान निवासी तीसरे पुरुष को बेचने की कोशिश की। इस बार महिला का धीरज जवाब दे गया औऱ वह किसी तरह अपनी बेटियों के साथ भाग कर मायके पहुंच गई। मायके में कुछ दिन सहारा मिला, लेकिन जल्द ही उसे कहा गया कि एक दोगुनी उम्र के पुरुष के साथ रहे। बेसहारा युवती और दो बेटियों की जिम्मेदारी, उसने मायके वालों का प्रस्ताव मान लिया, और उसके साथ लिव-इन रिश्ते में रहने लगी। उसके नए पार्टनर ने उसे सहारा दिया, उसकी बेटियों की जिम्मेदारी भी संभाली। इस रिश्ते से भी युवती को तीसरी बेटी हो चुकी है। युवती को अब संतुष्टि हो चली थी कि अब उसे एक पुरुष का स्थाई सहारा मिल गया है, लेकिन उसकी संतुष्टि पुराने पतियों को रास नही आई, खास तौर पर उस खरीदार को जिसने उसे राजस्थान में बेचने का सौदा कर लिया था।
पूर्व पति और ख़रीदार दोनों बने दुश्मन
जिन पुरुषों ने युवती को महज उपभोग सामग्री समझ उसके सौदे किए थे, उन्हें अब युवती का सुख-चैन रास नहीं आ रहा है। दोनों उस पर दबाव बना रहे हैं कि वह उनके साथ आकर रहे। इसके लिए उन्होंने जान से मारने की धमकी भी दे रहे है। जैसे तैसे स्थाई सुख की उम्मीद जगा बैठी युवती बीते 6 महीने से पुलिस के चक्कर लगा रही थी। पुलिस ने उसकी संवेदनाओं को नहीं समझा तो आखिरकार उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन सरकारी वकीलों की दलील है कि लिव-इन में रह रही युवती को सुरक्षा देना अब तक कानून परिभाषित ही नहीं है। जब तक पति से तलाक नहीं हुआ है युवती उसी की विवाहिता मानी जाएगी। कानूनविद भी इस मामले में असमंजस में हैं। उच्च न्यायालय ने भी निर्णय को सुरक्षित कर लिया है।