ट्रंप 20 जनवरी को करेंगे सत्ता हस्तांतरण, 46 वें राष्ट्रपति जो बाइडेन लेंगे शपथ
ख़बर ख़बरों की डेस्क, 07 जनवरी। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हंगामे के बीच कांग्रेस के दोनों सदनों ने आज जो बाइडेन और कमला हैरिस की जीत पर अपनी मुहर लगा दी है। अब 20 जनवरी को जो बाइडन देश के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे। इसके साथ ही पहली बार डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपनी हार स्वीकार करते हुए सत्ता के व्यवस्थित हस्तांतरण की के लिए हामी भरी है।
ट्रंप 20 जनवरी को बाइडेन को सौंपेंगे सत्ता
अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र ने तीन नवंबर को हुए चुनाव में राष्ट्रपति पद पर जो बाइडन एवं उपराष्ट्रपति पद पर कमला हैरिस को मिली जीत को सत्यापित कर दिया। कांग्रेस की इस उद्घोषणा के बाद निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 20 जनवरी को जो बाइडेन को सत्ता का ‘व्यवस्थित’ हस्तांतरण किया जाएगा। ज्ञातव्य है कि यह पहली बार है जब ट्रंप ने अपनी हार स्वीकार की है। अबतक वे चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए नतीजों को पलटने की कोशिश कर रहे थे।
हामी से पहले ट्रंप के समर्थकों ने राजधानी में मचाया हंगामा
ज्ञातव्य है कि अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के बाद जिस बात की आशंकाएं जाहिर की गई थीं वही हुआ। अमेरिका के इतिहास में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बवाल जितना इस बार हुआ है, शायद ही कभी हुआ हो। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेट जो बाइडेन की जीत स्वीकार करने को पहले ही तैयार नहीं थे, लेकिन शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे। ट्रंप समर्थक बुधवार को जबरन संसद कैपिटल में घुस गए, तोड़फोड़ और हिंसा हुई। गोली भी चली और इसमें चार लोगों की जान भी चली गई। मिलिट्री की स्पेशल यूनिट ने दंगाइयों को खदेड़ा। कई घंटे बाद संसद की कार्यवाही फिर शुरू हुई। कांग्रेस की कार्यवाही चलती रही औऱ बाहर ट्रंप समर्थकों का हंगा जारी रहा। अमेरिकी इतिहासकार बताते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद पर इस तरह का हमला 200 साल में पहली बार देखा गया है। घटना की गंभीरता को देख कि खुद रिपब्लिकन नेता लोकतंत्र पर हुए इस हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप को बाहर करने की मांग करने लगे हैं।
खुद ट्रंप की पार्टी ने भी मत सत्यापन की कार्यवाही में किया उनका विरोध
कांग्रेस की कार्यवाही से पहले हुई हिंसा में सुरक्षाकर्मियों के लिए अपनी जान बचाकर भागने की नौबत आ गई और कैपिटल परिसर के भीतर गोलीबारी की घटना हुई। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन करीब आठ करोड़ मतों के साथ निर्वाचन मंडल के 306 मतों को हासिल करने में सफल हुए थे।
संसद में दो घंटे तक चली सत्यापन कार्यवाही का सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर समर्थन किया। यहां तक कि उन्होंने दो राज्यों-एरिजोना एवं पेंसिल्वेनिया में निर्वाचन संबंधी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया। सीनेट ने छह मतों के मुकाबले 93 मतों से एरिजोना के चुनाव नतीजों पर आपत्ति को अस्वीकार किया जबकि प्रतिनिधि सभा ने इसे 121 के मुकाबले 303 मतों से खारिज किया।
इसी प्रकार सीनेट ने पेंसिल्वेनिया के चुनाव नतीजों पर आपत्ति को सात के मुकाबले 97 मतों से अस्वीकार किया जबकि प्रतिनिधि सभा में आपत्ति 138 के मुकाबले 282 मतों से नामंजूर हुई। भारतीय मूल के चार सांसदों- रो खन्ना, एमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाला ने आपत्ति के खिलाफ मत दिया।
अब तक क्या हुआ अमेरिकी हिंसा में
मोदी ने कहा, ये लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिका के वाशिंगटन में कैपिटल बिल्डिंग में हंगामा और हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वाशिंगटन डीसी में हिंसा और दंगे की खबरों से चिंतित हूं। सत्ता का सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण जारी रहना चाहिए। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों के जरिए बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया, ”अमेरिकी संसद में अशोभनीय दृश्य देखने को मिले। अमेरिका विश्व भर में लोकतंत्र के लिए खड़ा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और तय प्रक्रिया के तहत उचित तरीके से हो।”
ट्रंप फैसले को स्वीकार करें
जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने ट्विटर पर लिखा, ”ट्रंप और उनके समर्थकों को अमेरिकी मतदाताओं के फैसले को स्वीकार कर लेना चाहिए और लोकतंत्र पर हमला बंद करना चाहिए।भड़काऊ बयानों से हिंसक घटनाएं हुईं। लोकतांत्रिक संस्थाओं की अवहेलना का खतरनाक परिणाम होता है।”
इन नेताओं ने जताया भरोसा
यह ट्रंपवाद का नतीजा
इटली में भी लोगों ने हिंसा की घटना पर हैरानी जताई और कहा कि अमेरिका को हमेशा लोकतांत्रिक देश के मॉडल के तौर पर देखा जाता है। इटली के वामपंथी नेता (सेवानिवृत्त) पीरलुगी कास्तागनेती ने ट्वीट किया कि यह ‘ट्रंपवाद’ का नतीजा है।
ट्रूडो ने भी की निंदा
स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि यह देशद्रोह है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनका देश अमेरिका में कैपिटल परिसर में हुई हिंसा की घटना से ‘‘बहुत क्षुब्ध’’ है। कनाडा अमेरिका का करीबी सहयोगी देश रहा है।
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