ख़बर ख़बरों की डेस्क, 04 जनवरी। गोपालदास नीरज को हिंदी में नवगीतों का राजकुमार कहें, गीत महर्षि कहें या श्रंगार रस का शाश्वत उपासक, वह वाणीपुत्र थे, उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक कलम और कविता का साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने बॉलीवुड गीत-संगीत, कवि-सम्मेलनों के गीत सम्राज्य और गीतों के महाकाव्य, कुछ भी अछूता नहीं छोड़ा। प्रेम के कवि कहो या सौह्रार्द का मसीहा नीरज ने अपनी कविताओं और गीतों के जरिए देश को दिशा दिखाई। उनके लिखे गीत जितने पुराने होंगे उनते ही प्रासंगिक होते जाएंगे। आज भी अपने कद्रदानों के दिलों में गीत बनकर जिंदा गोपालदास नीरज के लिए कवि पंकज प्रसून ने लिखा है, ‘कौन कहता है कि नीरज मर गया है, वो गया है स्वर्ग में कविता सुनाने…गीत का मुखड़ा सुनाया इस धरा को, अब गया है अंतरा वो गुनगुनाने…।’
आज 4 जवरी है, गीत महर्षि गोपालदास नीरज की 95वीं जयंती, इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए khabarkhabaronki.com प्रस्तुत कर रहा है उनके जीवन के अनछुए प्रसंग….
पद्मभूषण महाकवि गोपालदास ‘नीरज’ ने हिंदी फिल्मों के गीतों की बगिया में एक से बढ़कर एक सुंदरतम गीतों के फूल खिलाए थे, जो अनंत काल तक सुननेवालों को महकाएंगे। नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था। मात्र 6 वर्ष की आयु में सिर से पिता का साया हट गया था। शुरूआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय तक टाइपिस्ट का काम किया, इसके बाद सिनेमाघर पर भी नौकरी की। लम्बे अर्से तक बेरोजगारी भुगतने के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट बन गए। वहां से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डीएवी कॉलेज में क्लर्क की नौकरी भी की। इस दौरान उनकी पड़ाई भी जारी रही और अंततः वह मेरठ कॉलेज में हिन्दी के व्याख्याता बन गए। इसी दौरान उन्होंने कविताएं व गजलें लिखनी शुरू की, और उन्हे कवि सम्मेलनों में काफी पंसद किया जाने लगा। नीरज की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि उनकी कई कविताओं के अनुवाद गुजराती, मराठी, बंगाली, पंजाबी, रूसी आदि भाषाओं में भी हुए।
तीन दिन में बना रंगीला रे…
एसडी बर्मन ने नीरज से कहा कि ऐसा गीत दो जिसमें मुखड़ा न हो। नीरज ने कहा, दादा बिना मुखड़े के कैसा गीत। बर्मन अड़े थे कि गीत बिना मुखड़े का ही चाहिए। चुनौती स्वीकार करके नीरज ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और तीन दिन बाद निकले तो रंगीला रे जैसा गीत उनके हाथ में था।
लिखे जो खत तुझे… से चली पूरी फिल्म
फिल्म कन्यादान का हिट गीत लिखे जो खत तुझे… की कहानी भी खासी दिलचस्प है। संगीतकार शंकर जयकिशन थे और वह ज्यादातर काम हसरत जयपुरी और मजरूह सुल्तानपुरी के साथ करते थे। पहला मौका था जब नीरज उनके साथ काम करने के लिए निर्माता राजेन्द्र भाटिया के साथ पहुंचे। शंकर जयकिशन भड़क कर बोले कि ये नहीं कर पाएंगे। उन्होंने एक धुन सुनाई, नीरज ने गीत लिखा और शंकर ने पन्ना फाड़कर फेंक दिया। बाहर आकर राजेन्द्र भाटिया ने नीरज से कहा कि ऐसा गीत लिखो कि शंकर को समझ आए कि वह गलत कर रहे हैं। नीरज ने कहा कि अगर ऐसा गीत लिख दूं कि पूरी फिल्म चल जाए तो क्या आप अपनी गाड़ी दे देंगे। भाटिया ने शर्त मान ली, गीत लिखे जो खत… अस्तित्व में आया, शंकर जयकिशन नीरज के मुरीद हुए और राजेन्द्र भाटिया ने अपनी स्टैंडर्ड हेरल्ड गाड़ी नीरज को दे दी।
5 सालों के फिल्मी करियर में दिए दर्जनों अनमोल गीत
गोपाल दास नीरज का फिल्मी सफर सिर्फ 5 साल का ही रहा था लेकिन इस दौरान उन्होंने कई प्रसिद्ध फि़ल्मों के गीतों की रचना की। एसडी बर्मन और नीरज की जोड़ी ने कई बेहतरीन गीतों का उपहार हिंदी फिल्मों को दिया है, इनमें शर्मीली, गैम्बलर और तेरे मेरे सपने के गीत शामिल हैं। ख़ुद नीरज ने एक बार बताया था कि एसडी बर्मन ने उनसे शमा, परवाना, शराब, तमन्ना, जानेमन, जान और इश्क जैसे टिपिकल उर्दू शब्दों का इस्तेमाल बंद करने को कहा, और बेहद जरूरी होने पर ही जनमानस को समझ आने वाले उर्दू शब्द ही इस्तेमाल करने की हिदायत दी। इस पर नीरज ने अपने गीतों में बगिया, मधुर, गीतांजलि, माला, धागा जैसे शब्दों का प्रयोग करना शुरू किया। रंगीला रे…. जैसे कई गीतों में तो उन्होंने एक भी उर्दू शब्द का प्रयोग नहीं किया।
नीरज को 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके बाद 2007 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया। इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश सरकार ऩे उन्हें यश भारती सम्मान भी दिया। इसके अलावा नीरज को तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला है।
गोपाल दास नीरज के गीतों की लोकप्रियता आसमान पर थी। इसके प्रभावित होकर फिल्म निर्माता आर चंद्रा ने पहली बार गीत लिखने का मौका दिया। नीरज ने आर चंद्रा की फिल्म ”नई उमर की नई फसल” के लिए गाना लिखा था। आर चंद्रा अभिनेता भारत भूषण के बड़े भाई थे और वह अलीगढ़ में ही पले बढ़े थे। उनका भी अलीगढ़ से खास जुड़ाव था। नीरज 1964 में गीत लेखन के लिए मुंबई चले गए। आर चंद्रा की फिल्म 1966 में रिलीज हुई, हालांकि फिल्म कोई जलवा नहीं दिखा पाई। लेकिन मो. रफी की आवाज में ”कारवां गुजर गया” गीत हो गया। गोपाल दास नीरज ने 1967 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ”मझली दीदी”, 1968 में फिल्म दुनिया, 1970 में मेरा नाम जोकर, फिल्म चंदा और बिजली, प्रेम पुजारी, 1971 में पहचान व शर्मीली समेत कई फिल्मों के लिए गीत लिखे। गोपाल दास नीरज के कई अभिनेता कायल हो गए थे जिसमें राजकपूर, मनोज कुमार, शशि कपूर व देवानंद जैसे नाम शामिल हैं।
फिल्मों में नीरज के गीत
1. फूलों के रंग से, दिल की कलम से, तुझको लिखे रोज पाती (फिल्म: प्रेम पुजारी)
2. शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब (फिल्म: प्रेम पुजारी)
3. रंगीला रे, तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन, छलिया रे न बुझे है किसी जल से ये जलन (फिल्म: प्रेम पुजारी)
4. लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (फिल्म:कन्यादान )
5. खिलते हैं गुल यहां, खिल के बिखरने को (फिल्म: शर्मीली)
6. ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली (फिल्म:शर्मीली)
7. आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन (फिल्म:शर्मीली)
7. चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है, देखो-देखो टूटे न (फिल्म:गैम्बलर)
8. दिल आज शायर है, गम आज नगमा है.. शब ये गजल है सनम (फिल्म:गैम्बलर)
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,05 June’25 India’s manufacturing sector lost some momentum in May, with…
Ira Singh Khabar Khabaron ki,02 June’25 India’s Goods and Services Tax (GST) collections continued their…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,01 June’25 The central government managed to meet its fiscal deficit…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,31 May'25 India’s economy expanded by 7.4% in the March quarter…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,31 May’25 Infosys founder NR Narayana Murthy has launched a pioneering,…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,30 May’25 India’s economy has reached a significant milestone, with its…