जानिये क्या था अटल जी के बचपन का पसंदीदा खेल, और कैसे भूल गए थे भाषण–पूरा किए बिना मंच उतर कर चले गए थे घर

ग्वालियर, 24, दिसंबर। ग्वालियर में शिंदे की छावनी में कमलसिंह के बाग, इसी भवन में बसी हैं, एक महान, राजनेता, वक्ता और कवि की सीधी सरल यादें। ग्वालियर के लाल अटल पोलिटिकल स्टेट्समैन भी थे, राजनीति के चाणक्य भी गंभीर पत्रकार भी और भारतीय राजनीति के वेदव्यास व विदुर भी। जिस अटल के पनी भाषण सुनने दूर-दूरंत से लोग खिंचे आते थे, जिसके भाषणों से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर उनके समकालीन विपक्षी भी चमत्कृत रह जाते थे, लेकिन क्या कोई विश्वास करेगा कि वही अटल कभी अबना भाषण भूल मंच से उतरकर चले गए थे।

ग्वालियर के अटल की जयंती सारा देश 25 दिसंबर को मनाएगा, आज हमारे बीच देश का ये लाड़ला नहीं है, लेकिन उनकी यादें हम से कभी जुदा नहीं हो सकतीं। khabarkhabaronki.com पर प्रस्तुत हैं उनकी यादों से जुड़े कुछ संस्मरण….

अपना भाषण ही भूल गए थे अटल

अटल बिहारी बाजपेयी की जिन भाषणों में दुनिया खो जाती थी, दूरदराज उन्हें सुनने युवा-वृद्ध खिंचे चले आते थे। संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया जिसका भषण किंवदंती बन गया, वही अटल अपने पहले भाषण को बीच में ही भूल मंच छोड़ भाग खड़े हुए थे। वाक़िया कुछ इस तरह है कि जिस विद्यालय में अटल बचपन में पढ़ते थे उसके हैडमास्टर उनके पिता पंडित कृष्णबिहारी वाजपेयी थे। एक बार वार्षिकोत्सव में अटल जी की भाषण देना था, भाषण लिख कर अटल तक पहुंच गया, रटाई भी हुई, लेकिन मंच पर पहुंच कर अटल ने जैसे ही भीषण शुरू किया, सामने पिता को बैठे देख वह रटा हुआ भाषण भूल कर लड़खड़ा गए। जब भाषण बहुत प्रयासों के बाद भी याद नहीं आया तो बीच में ही बंद कर बेटारे अटल सिर झुकाए मंच से नीचे उतर कर चले गए।

कंचे खेलना था अटल का पसंदीदा खेल पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्यप्रदेश में ग्वालियर की सिंधिया रियासत में शिक्षक की नौकरी करने आए थे। मां कृष्णा की अटल सातवीं संतान थे, तीन बहनें और तीन भाई। अटल बिहारी वाजपेयी की संजीदगी को देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उनका बचपन बेहद नटखट और शरारतों से भरा हुआ था। कमल सिंह के बाग की गलियों में अटल ने बचपने के खेल-खेले थे। कोई विश्वास नहीं करेगा जब यहा जानेगा कि अटल जी के बचपन का सबसे प्रिय खेल था कंचे खेलना। बचपन से ही कवि सम्मेलन में जाकर कविताएं सुनना और नेताओं के भाषण सुनना और जब मौका मिले मेले में जाकर मौज-मस्ती करना। कांच के बने कंचों के खेल से पैदा हुई एकाग्रता और लक्ष्य पर निशाना साधने की रुचि ने अटल को सफल राजनेता बना दिया।

gudakesh.tomar@gmail.com

Recent Posts

India’s Deposit Growth Leads Credit Growth After 30 Months of Reversal

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,09 Nov'24 For the first time in two and a half…

2 weeks ago

Indian Market Sees Record $10 Billion Outflow in October

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 Oct'24 October has marked a record- breaking month for foreign…

4 weeks ago

India’s Growth Steady at 7%, Outpacing Global Peers, IMF

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23'Oct'24 The International Monetary Fund (IMF) has reaffirmed its positive outlook…

1 month ago

GST Reduction Likely to Make Health & Life Insurance Cheaper

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23 Oct'24 A reduction in Goods and Services Tax (GST) could…

1 month ago

साबुन के नाम पर फैक्ट्री में बन रहा नशीला ड्रग, किराये पर देने वाला गिरफ्तार

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप औद्योगिक क्षेत्र के बंद फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स…

2 months ago