आंदोलन की धमकी से दबी सरकार, मध्यप्रदेश में शुक्रवार से खुलेंगे स्कूल

भोपाल, 17 दिसंबर। निजी विद्यालयों के आंदोलन की धमकी के बाद दबाव में आई प्रदेश सरकार ने शुक्रवार से स्कूल खोलने का फैसला किया है। निजी स्कूल तो कम विद्यार्थी संख्या के कारण आराम से कोरोना प्रोटोकोल्स के पालन की व्यवस्था कर लेंगे, लेकिन सरकारी विद्यालयों के लिए यह बड़ी चुनौती होगी। प्रदेश भर के शहरों में सरकारी विद्यालय प्रशासन कोरोना से बचाव के लिए अपनी सहूलियों के हिसाब से इंतजाम कर रहे हैं। जबलपुर में बड़े सरकारी विद्यालय ने महज 33 प्रतिशत विद्यार्थियों को पढ़ाने का निर्णय लिया है, ग्वालियर के सबसे बड़े हायर सैकेंड्री विद्यालय में ऑड-ईवन के आधार पर कक्षाएं संचालित की जाएंगी। इंदौर के हर सरकारी विद्यालय में टेंप्रेचर गन से परीक्षण के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा।

सरकारी विद्लयों के प्राचार्यों के अनुसार ग्वालियर में पहले दिन 25 से 35 प्रतिशत विद्यार्थियों के आने की उम्मीद के आधार पर व्यव्शता की गई है। हालांकि प्राचार्यों ने COVID-19 प्रोटेकोल्स के पालन की समुचित व्यवस्थाओं का  दावा किया है, किंतु इसकी देखरेख के विषय़ में सब मौन हैं। यद्यपि विद्यालयीन शिक्षा विभाग के अनुसार पहले दिन शिक्षक-अभिभावक बैठक करवाने के निर्देश दिए गए हैं, और कहा गया कि जो अभिभावक बैठक में न आएं उनसे ऑनलाइन चर्चा की जाए।

ग्वालियर में ऑड-ईवन, इंदौर में प्राथमिक तापमान परीक्षण, जबलपुर में 30फीसदी और भोपाल में 25 फीसदी के लिए इंतजाम

ग्वालियर के 506 हायर सेकेंडरी विद्यालयों में पद्मा कन्या स्कूल सबसे बड़ा है। इस लिए यहां ऑड-ईवन फॉर्मूले से पढ़ाई कराई जाएगी। जिनका अटेंडेंस रजिस्टर में नंबर 1, 3, 5 है, उन्हें सोमवार, बुधवार और शुक्रवार जबकि 2, 4, 6 पर है, उन्हें  मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को को बुलाया जाएगा। विद्यालय के 10 शिक्षकों को पढ़ाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस विद्यालय में एक कक्षा में 25 से 30 विद्यार्थियों को बैठाया जाएगा, जबकि समय दोपहर 12 से 5 बजे का तय किया गया है। जानकारी के अनुसार इंदौर में कोई भी विद्यालय बगैर तापमान परीक्षण किए शिक्षक-विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं देगा। यहां सोशल डिस्टेसिंग भी समुचित रखी जाएगी। सभी विद्यालयों में मास्क और सैनेटाइजर का भी इंतजाम किया जा रहा है। भोपाल में विद्यार्थियों के कम आने की उम्मीद की जा रही है।  कम रहने की वजह ट्रांसपोर्टेशन के साधन सीमित होना भी है। स्कूल दूर होने से निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार के स्टूडेंट्स वैन में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रहने से डरे हुए हैं।

gudakesh.tomar@gmail.com

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