इमरती देवी का जलवाः बंगला खाली करने का नोटिस भेजने वाले अधिकारी का तत्काल स्थानांतरण, नोटिस भी निरस्त

ग्वालियर, 06 दिसंबर। लगातार चर्चाओं में रहना इमरती देवी का प्रारब्ध है या स्वभाव, विदित नहीं, किंतु विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उनका जलवा कायम है। शनिवार को लोकनिर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री ने उन्हें एक नोटिस भिजवाया, जिसमें उनसे ग्वालियर में आवंटित बंगला खाली करने को कहा गया था। चंद घंटों में ही न सिर्फ उस नोटिस को निरस्त कर दिया गया, अपितु नोटिस जारी करने वाले अधिकारी का स्थानांरण आदेश भी रातोंरात जारी हो गया। चुनाव इमरती देवी हारीं, ओम हरि शर्मा का नोटिस हारा….

हाल ही में हुए उपचुनाव में इमरती देवी सुमन डबरा विधानसभा सीट से अपने समधी  सुरेश राजे से चुनाव हार गईं। प्रदेश सरकार में मंत्री बनने पर उन्हें ग्वालियर के झांसी रोड पर स्थित मानिक विकास कॉलोनी में 44-ए नंबर का शासकीय बंगला आवंटित हुआ था। मध्यापर्देश की भाजपा सरकार में जो भी मंत्री चुनाव हारे थे, इस्तीफा दे चुके थे। इसके बाद इमरती देवी के मंत्री पद और बंगले में रहना चर्चित हो गया था। काफी समय बाद इमरती देवी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तभी  शनिवार को लोक निर्माण विभाग के ग्वालियर में प्रभारी कार्यपालन यंत्री ओम हरि शर्मा ने इमरती देवी के नाम बंगला खाली करने का नोटिस जारी कर फिर चर्चाएं शुरू करा दीं। नोटिस में लिखा था कि बंगला मंत्री को उनके कार्यकाल की अवधि के लिए आवंटित किया गया था। वर्तमान में उनके पास कोई पद नहीं है, इसलिए अब इसे खाली कर लोक निर्माण विभाग को सौंपा जाए।

इमरती देवी ने नोटिस मिलने की बात स्वीकार करते हुए यह सवाल किया था कि उनका मंत्री पद से इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं हुआ है, तो बंगला खाली करने कैसे नोटिस दिया जा सकता है। नोटिस प्रदेश भर की सुर्खियां बन गया, परिणामस्वरूप कुछ घंटे बाद ही विभाग को नोटिस निरस्त करना पड़ा। इतना ही नहीं विभाग ने रातोंरात ओम हरि शर्मा को स्थानांतरित कर ग्वालियर से भोपाल मुख्यालय में अटैच कर दिया।   

प्रश्न यह कि, क्या इमरती देवी अब भी हैं मंत्री?

बंगला खाली करने के नोटिस और निरस्तीकरण आदेश जारी हुआ तो कहा गया कि जानकारी के अभाव में नोटिस भेजा गया था। एक रात पहले बंगला खाली करने के लिए भेजे गए नोटिस में इमरती देवी को पूर्व मंत्री बताया गया था, किंतु निरस्तीकरण में मंत्री लिखा गया है। प्रश्न यह उठ रहा है कि इस्तीफे के बाद भी इमरती देवी मंत्री हैं या पूर्व मंत्री? साथ यह प्रश्न भी कि क्या लोकनिर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को इमरतीदेवी के स्टेटस से अनभिज्ञ हैं।

gudakesh.tomar@gmail.com

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