khabarkhabaroniki Desk
ग्वालियर विधानसभा
प्रद्युम्न सिंह तोमर (भाजपा) विरुद्ध सुनील शर्मा (कांग्रेस)
कुल 2 लाख 78 हजार मतदाताओं वाले ग्वालियर विधानसभा में जातीय समीकरण और राजनीतिक हालात भले प्रद्युम्न सिंह का समर्थन करते नजर आ रहे हों, लेकिन अभियान के अंतिम दौर में गणित बदलता दिखाई दे रहा है। मायावती के भाजपा के समर्थन में आए बयान के बाद बसपा का पारंपरिक मतदाता भी बसपा प्रत्याशी से छिटक कर कांग्रेस के खेमे में आने के संकेत हैं। हालांकि बसपा प्रत्याशी हरपाल मांझी कांग्रेस और बसपा दोनों के ही वोटबैंक में सेंधमारी की उम्मीद के साथ मैदान में उतरे थे। इसी तरह सपा के रोशन बेग मिर्जा को मुस्लिम वोट बैंक से उम्मीद है, और उन्हें मनाने के लिए दिग्विजय सिंह के फोन की ऑडियो वायरल होने से उम्मीद पुख्ता भी हुई, लेकिन ध्रुवीकरण भाजपा के इस तरह विरोध में है कि वोटर भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को ही वोट देनेको तत्पर है। इसके साथ ही प्रद्युम्न के बाहरी होने के डैमेज कंट्रोल का दावा करने के बावजूद सुनील समर्थकों में कुछ क्षत्रिय क्षत्रपों के देखे जाने से भी भाजपा के रणनीतिकर्ताओं के इस दावे में छेद नज़र आ रहा है। कुल मिलाकर प्रद्युम्न और उनके समर्थन में भाजपा काडर की कड़ी मेहनत उन्हें जीत तो दिला सकती है, लेकिन जिस तरह उनके लिए पनघट की डगर जितनी आसान प्रारंभिक दौर में दिख रही थी, वैसी अब नहीं रही….
यहां मतदान का प्रतिशत करीब 56.15 प्रतिशत रहा जो हालांकि पिछली बार से 7.22 प्रतिशत कम है, फिर भी कोरोना काल का वजह से संतोषजनक माना जा रहा है। यहां मतदान का प्रतिशत परिणाम के लिए कोई विशेष संकेत नहीं दे रहा है।
विश्लेषण
नोट- यहां पर भाजपा प्रांभिक बढ़त के साथ ही लगातार बढ़ोतरी पर रही, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती के भाजपा समर्थन और मुस्लिमों के भाजपा के विरुद्ध सख्त ध्रुवीकरण ने सुनील शर्मा को मुकाबले में ला दिया है।
2018 में कांग्रेस से लड़े प्रद्युम्न सिंह तोमर यहां 21,044 वोटों के अंतर से जयभान सिंह पवैया (भाजपा) से जीते थे।
– प्रद्युमन सिंह तोमर क्षेत्र में लगातार सक्रियता के साथ ही वह भाजपा संगठन से भी अपनी विनम्रता की वजह से सामंजस्य बनाने में सफल रहे।
– सफाई दरोगा के नाम से पहचाने बनाने वाले प्रद्युम्न ने जनसंपर्क के दौरान अपनी जन-जन से घुलने-मिलने और स्वयं को आमजन में से ही एक दर्शा पाने में सफलता हासिल की है। यद्यपि कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा भी विनम्र हैं, किंतु प्रद्युम्न विनम्रता से भी कहीं बढ़कर स्वयं को आम भीड़ में से ही एक सिद्ध कर पाने में सफल रहे हैं। जबकि सुनील शर्मा की एलीट पारिवारिक छवि उन्हें विनम्र होते हुए भी आमजन से अलग कर देती है।
– भाजपा की लोकपथ और लोकसेवा की संस्कृति से समायोजन कर पाने में सफल प्रद्युम्न को काडरबेस्ड दल के काडरबेस ने भी पूरी तरह स्वीकार कर लिया है। इसके अलावा कांग्रेस में रहने के दौरान बनी धर्म निरपेक्ष और बहुसंख्यक समाज के हर वर्ग में हासिल स्वीकार्यता को भी प्रद्युम्न बरकरार रखने में सफल रहे हैं।
– बसपा ने हरपाल मांझी को इस सीट पर उतार है, जो कांग्रेस में प्रद्युम्न के सहयोगी रहे केशव मांझी के नज़दीकी माने जाते रहे हैं। माना जा रहा है कि हरपाल कांग्रेस के पाले में जाने वाले दलित-पिछड़े मतों में सेंधमारी करने की कोशिश करेंगे।
– कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा के सहयोगी रहे अल्पसंख्यक रोशन मिर्ज़ा बेग़ भी सपा से टिकट पाकर मैदान में हैं। माना जा रहा है कि वह प्रद्युम्न के मुस्लिम मताधार में भारी सेंधमारी करेंगे, हालांकि राष्ट्रीय परिदृश्य के कारण हो रहे मुस्लिम ध्रुवीकरण की वजह से यह वोट मिर्ज़ा की जगह वैसे भी कांग्रेस को ही मिलने जा रहे हैं। कुछ असर दिग्विजय सिंह के रोशन मिर्ज़ा बेग को कांग्रेस के पक्ष में मनाने के कॉल आडियो के वायरल होने का भी रहेगा।
चुनौतीः
कांग्रेस प्रत्याशी सजातीय ब्राह्मण वोट बैंक के साथ-साथ मुस्लिम और जाटव वोटर (लगभग संख्या 50 हजार के सहारे) जीत का दावा कर रहे हैं। इस संबंध में पूर्व में लिखा जा चुका है कि हरपाल मांझी हरिजन मतों में सेंध लगाएंगे, लेकिन अंतिम दौर में मायावती के बयान के बाद यह गणित अब बदल रहा है। प्रद्युम्न सिंह तोमर की जीत की इकतरफा उम्मीद को अब चुनौती मिल रही है।
ग्वालियर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2.78 लाख है इसमें सबसे ज्यादा 52 फ़ीसदी पिछड़ा वर्ग के वोटर हैं। जबकि 29 फ़ीसदी वोटर ब्राह्मण बनिया ठाकुर आदि है।
जातिगत मतदाता संख्या
क्षत्रिय वोटर 35000
ब्राह्मण वोटर 30,000
कोरी 16000
मुसलमान 16000
जाटव 8000
कुशवाहा 15000
राठौर 12000
बाथम 11000
यादव कमरिया 7000
किरार यादव 10000
पंजाबी 4000
प्रजापति 7000
पाल बघेल 6000
ग्वालियर पूर्व विधानसभा
मुन्नालाल गोयल (भाजपा) विरुद्ध डॉ.सतीश सिंह सिकरवार (कांग्रेस)
नोट विशेष- कांटे का मुकाबला जो भी जीते, मतांतर होगा बेहद कम
मुन्नालाल गोयल (कांग्रेस) ने वर्ष 2018 में 17,819 मतों के अंतर से भाजपा के सतीश सिकरवार को हराया था।
– यहां अभियान के पूर्वार्ध में गोयल का भाजपा के काडरबेस से कार्यकर्ता से सामंजस्य कमजोर नजर आया, लेकिन सतीश सिकरवार के पलायन कर कांग्रेस में जाने से काडरबेस में सतीश के प्रति सहानुभूति समाप्त हुई दिखी। यह काडरबेस मुन्नालाल के प्रयासों से तो नहीं पर सतीश के प्रति कम हुई सहानुभूति और पार्टी-संगठन के प्रति निष्ठा की वजह से मुन्नालाल तो नहीं, लेकिन पार्टी (भाजपा) के लिए सक्रिय नज़र आया। परिणाम स्वरूप पूर्वार्ध में मिली बढ़त को सतीश उत्तरार्ध में गंवाते दिखे, लेकिन अंतिम दौर में मायावती के भाजपा के समर्थन में बयान देने से 2 अप्रेल 2019 की कड़ुवाहट को दिल में संजोए बसपा का मताधार मुन्नालाल की जगह सतीश के समर्थन पर उतारू दिखने लगा। इसके लिए वह मायावती की अपील को भी दरकिनार करने को भी तैयार है। इसके साथ ही ग्वालियर पूर्व में मतदान का बेहद कम करीब 48 प्रतिशत रहा, जो गंभीर संकेत कर रहा है। कम मतदान प्रतिशत से पलड़ा डॉ.सतीश सिकरवार के पक्ष में जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि कम मतदान प्रतिशत इसलिए रहा, क्योंकि भाजपा का बूथ लेवल काडरबेस मतदाता को EVM तक नहीं ले जासका।
– पैसे लेकर बिकने के आरोप पूर्वार्ध में मुन्नालाल पर हावी रहा, लेकिन सतीश के भी दलबदल कर लेने से वह समायोजित हो गया।
– कोरोना काल में कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार ने गरीब व पिछड़े इलाकों में अपेक्षित सहायता की, जिससे उनकी इस वर्ग में पैठ बनी। हालांकि इसी 2 अप्रेल 2019 की कड़ुवाहट सतीश को नुकसान भी पहुंचा सकती है। क्योंकि इस सीट से मैदान में उतरे बसपा के इसी तबके के उम्मीदवार की घर-घर गुपचुप मुहिम से सतीश के इस आधार में सेंधमारी की ख़बर भी जोरों पर है।
– भाजपा का काडरबेस पार्टी के लिए बूथलेवल मैनेजमेंट की ताकत के साथ सक्रिय हो गया है। यह मुन्नालाल के लिये शुभ शकुन है।
चुनौती- कांग्रेस प्रत्याशी सतीश सिकरवार का यहां 6-7 वार्डों में असर है, जिनमें महलगांव, ठाठीपुर बजरिया, नदी पार टाल, भीमनगर आदि इलाके शामिल हैं। इस सीट पर मुस्लिम, जाटव वोटर के साथ राजपूत, गुर्जर वर्ग का साथ कांग्रेस को मिल रहा है। पहले ही लिखा जा चुका है कि बसपा 2 अप्रेल 2019 की याद दिलाकर सतीश के क्षत्रिय होने की हकीकत भी इस वर्ग को समझा रही है।
जातिगत मतदाता संख्या
ब्राह्मण 30,000
क्षत्रिय 28,000
अन्य पिछड़ा वर्ग 1,00,000 (गुर्जर, बघेल, यादव, कुशवाहा आदि)
अनुसूचित जाति/जनजाति 80,000
वैश्य समुदाय 40,000
सिंधी,पंजाबी, क्रिश्चियन 40,000
मुस्लिम वोटर 7,000
डबरा विधानसभा क्रमांक 19
निवर्तमान विधायक इमरती देवी सुमन (भाजपा) विरुद्ध सुरेश राजे (कांग्रेस)
नोट विशेष- अभियान के पूर्वार्ध में नज़र आया कांटे का मुकाबला अब इमरती देवी के पक्ष में जाता नज़र आ रहा है।
– इमरती देवी 2018 में (कांग्रेस) लगभग 57, 446 मतों से जीती, जबकि भाजपा के कप्तान सिंह यहां हारे थे।
– इमरती देवी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के अलावा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए, नतीजतन वह शहरी क्षेत्र में पिछड़ रही थीं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में वह मजबूत स्थिति में हैं।
– बड़बोलेपन के कारण भी लगातार सुर्खियों बनी रहती हैं, लेकिन कमलनाथ के उन्हें आइटम बोलने के बाद से भाजपा ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना लिया। इससे इमरती की स्थानीय छवि एक सीधीसादी जमीन से जुड़ी और ‘woman next door’ की छवि पुख्ता हुई और विक्टिम कार्ड पॉलिटिकल बैनिफिट अपने आप मिलने लगा। इससे इमरती की कमजोरी उनकी ताकत में बदली औऱ सुरेश राजे को मिल रहा फायदा समाप्त हो गया।
चुनौती – बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी रही सत्यप्रकाशी परसेड़िया को 2018 में सिर्फ 3000 के आसपास मत मिले थे। इस बार टिकट संतोष गौर को मिला है। जनपद अध्यक्ष रह चुके संतोष पार्टी के संस्थापक कांशीराम के नज़दीकी रहे हैं, औऱ क्षेत्र में उनका सम्मान है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार वह भाजपा व कांग्रेस दोनों के दलित वोटों में अच्छी सेंध लगाएंगे।
– भाजपा के इमरती देवी को मैदान में उतारने से दलित मताधार 2 अप्रैल 2019 की हिंसा के बाद भाजपा से नाराजी के बावजूद इनका रुख इमरती की तरफ हो गया। हालांकि मायावती के बयान से उनमें विश्वास खोने के बाद बसपा ने जब संतोष गौर को मैदान में उतार तो इमरती देवी का गणित गड़बड़ाता लगने लगा है। हालांकि इससे इमरती देवी की जीत की संभावनाओं पर असर नहीं है, लेकिन जीत का अंतर कुछ कम हो सकता है। यहां मतदान का प्रतिशत करीब 66.68 प्रतिशत है जो पिछली बार से महज 2 प्रतिशत कम है और जिसे में सबसे ज्यादा है।
जातिगत मतदाता संख्या
कुल मतदाता-2,18,000
अनुसूचित जाति/जनजाति 60,000 से ज्यादा
अन्य पिछड़ा वर्ग 75000 (लगभग)
ब्राह्मण 20000
क्षत्रिय एवं सिंधी वोटर 10,000
वैश्य 30,000 से ज्यादा
मुस्लिम 8000 (लगभग)
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,09 Nov'24 For the first time in two and a half…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 Oct'24 October has marked a record- breaking month for foreign…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23'Oct'24 The International Monetary Fund (IMF) has reaffirmed its positive outlook…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23 Oct'24 A reduction in Goods and Services Tax (GST) could…
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप औद्योगिक क्षेत्र के बंद फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स…
संयुक्त कार्रवाई में 1814 करोड़ का MD ज़ब्त, तीन आरोपी गिरफ्तार, देश भर में नशे…