डिंडोरी जिले के शारदा आजीविका तथा छतरपुर जिले के हरि बगिया स्व-सहायता समूह का किया उल्लेख
प्रधानमंत्री मोदी का प्रदेश के फूड फॉरेस्ट और फिश पार्लर ने किया ध्यान आकर्षित
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निवास से सुनी प्रधानमंत्री की “मन की बात”
डिंडोरी और छतरपुर में महिलाओं द्वारा जल-संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
भोपाल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “मन की बात” कार्यक्रम में प्रदेश के डिंडोरी और छतरपुर जिलों में महिलाओं द्वारा जल-संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में सामूहिकता की भावना से हो रहे कार्यों के अंतर्गत जल-संरक्षण के लिए जारी प्रयासों एवं नवाचारों में डिंडोरी जिले के ग्राम रयपुर के शारदा आजीविका स्व-सहायता समूह और छतरपुर जिले के गांव खोंप में हरि बगिया स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए तालाब तथा उससे भूजल स्तर में आये सुधार के सकारात्मक परिणामों का उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास पर प्रधानमंत्री श्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुना। उन्होंने कहा कि डिंडोरी और छतरपुर में महिलाओं द्वारा जल-संरक्षण के लिए जारी प्रयास सराहनीय और प्रशंसनीय हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि देश और प्रदेश के लोग अपने आसपास हो रहे ऐसे प्रयासों से अवश्य जुड़ेंगे।
मछली पालन और फिश पार्लर से बढ़ाई आय
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि “मुझे मध्यप्रदेश के दो बड़े ही प्रेरणादाई प्रयासों की जानकारी मिली है। डिंडोरी जिले के रयपुरा गांव में एक बड़े तालाब के निर्माण से भू-जल स्तर काफी बढ़ गया है, इसका फायदा गांव की महिलाओं को मिला है। यहां के शारदा आजीविका स्व-सहायता समूह व इससे जुड़ी महिलाओं को मछली पालन का नया व्यवसाय भी मिला। इन महिलाओं ने फिश पार्लर भी शुरू किया, जिससे मछलियों की बिक्री कर वे अपनी आय भी बढ़ा रही हैं।”
तालाब से निकली गाद (मिट्टी) से बनाया बंजर जमीन को उपजाऊ
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मध्यप्रदेश के छतरपुर में भी महिलाओं का प्रयास बहुत सराहनीय है। यहां के खोंप गांव का बड़ा तालाब जब सूखने लगा, तो महिलाओं ने इसे पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। हरि बगिया स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने तालाब से बड़ी मात्रा में गाद (मिट्टी) निकाली। तालाब से जो गाद (मिट्टी) निकली, उसका उपयोग उन्होंने बंजर जमीन पर फूड फॉरेस्ट तैयार करने के लिए किया। इन महिलाओं की मेहनत से न सिर्फ तालाब में खूब पानी भर गया, बल्कि फसलों की उपज भी काफी बढ़ गई है।
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