नई दिल्ली । मोदी सरकार 3.0 ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया है। वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर लंबे समय से चली आ रही कवायद पर मोदी सरकार आगे बढ़ती दिख रही है। इस प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के नेतृत्व वाली समिति वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। इसके तहत अब लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की योजना बनेगी।
बता दें कि मोदी सरकार ने देश में लोकसभा, सभी विधान सभाओं और स्थानीय पंचायतों एवं नगरपालिकाओं तक में एक साथ चुनाव करवाने के सभी पहलुओं पर विचार विमर्श कर, सिफारिश देने के लिए 2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।,जिसकी रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उसके मुताबिक पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए। समिति ने सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी होने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न हो सकते है। वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
पीएम मोदी का नारा….एक देश एक चुनाव
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। पीएम मोदी ने कहा था,मैं सभी से एक राष्ट्र एक चुनाव के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुवाई बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इसमें 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था। जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं। वहीं 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।
केंद्र की एनडीए सरकार में बीजेपी के अलावा चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) बड़ी पार्टियां हैं। जेडीयू और एलजेपी (आर) एक देश, एक चुनाव के लिए राजी हैं, जबकि टीडीपी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। जेडीयू और एलजेपी (आर) ने एक देश, एक चुनाव का ये कहते हुए समर्थन किया था कि इससे समय और पैसे की बचत हो सकेगी। वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम और बसपा सहित 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया था। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा, टीडीपी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित 15 पार्टियों ने कोई जवाब नहीं दिया था।
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