नई दिल्ली । शशि थरूर द्वारा शिवलिंग पर बिच्छू रूपक एक बौद्धिक टिप्पणी थी। कई लोगों ने इसे व्यंग्य के रूप में लिया। इसका उद्देश्य व्यक्ति की ताकत और स्थिति का वर्णन करना था। नाकि अपमान करना। भारतीय जनता पार्टी के नेता राजीव बब्बर ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक समझकर शशि थरूर पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस शिकायत को मेरिट के आधार पर खारिज करने के स्थान पर थरुर को अदालत में पेश होने के लिए कहा था। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ थरूर ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह बयान किसी की मानहानि का कारण नहीं बनता। बल्कि यह किसी की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट ने थरूर के खिलाफ चल रही मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
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