नई दिल्ली । दिल्ली में भारत की चौथी सबसे बड़ी नदी यमुना के 75 प्रतिशत डूबक्षेत्र पर अतिक्रमण हो चुका है। लोगों ने नदी के कैचमेंट एरिया में पक्के घर बनाए हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की नाक के नीचे दिल्ली में इतना बड़ा अवैध कब्जा कैसे हुआ? ये सबसे बड़ा सवाल है। दिल्ली विकास प्राधिकरण के एक नए सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र का 75 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है, जहां अतिक्रमण करके लोगों ने बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण कर लिया है।
इस क्षेत्र को नदी का ओ-जोन एरिया भी कहते हैं, जहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर सख्त प्रतिबंध रहता है। बावजूद इसके नए सर्वे में बताया गया है कि दिल्ली में यमुना नदी का जो 9,700 हेक्टेयर का बाढ़ क्षेत्र है, उसमें से 7,362 हेक्टेयर पर लोगों ने अवैध कब्जा करके 5 से 7 मंजिला इमारतों का निर्माण हुआ है। इसमें से ज्यादातर इमारतों में लोग किराए पर रह रहे हैं। इससे साफ होता हैं कि अतिक्रमण के पीछे आम लोग नहीं बल्कि भू माफिया हैं।
ये भू माफिया लगातार यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र को निगलते जा रहे हैं और इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। ये अवैध कब्जा तब भी जारी है, जब हाई कोर्ट ने यमुना नदी के चारों तरफ बाड़ लगाकर इसके संवेदनशील क्षेत्र को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।
दिल्ली के जाकिर नगर इलाके में यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में एक नई इमारत का निर्माण हो रहा है और ये इमारत 6 से 7 मंजिला होगी, जिसमें लोग किराए पर रहे और यहां बात सिर्फ इस इमारत की नहीं है। इस इलाके में यमुना नदी के जितने भी हिस्से पर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण हुआ है, उन सभी इमारतों में 30 से 50 कमरे हैं, जहां लोग किराए पर रहते हैं और इन इमारतों से हर महीने कम से कम 1 लाख रुपये का किराया आता है। जबकि ये इमारतें पूरी तरह अवैध है।
इसके अलावा ये इमारतें इतनी विशाल हैं कि इन्हें दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी एक्सप्रेसवे से आसानी से देख सकते है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि जो अतिक्रमण हमें और आपको एक्सप्रेसवे से दिखाता है, वहां अवैध अतिक्रमण यहां से गुजरने वाले सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों को नहीं दिखता। दिल्ली से यमुना नदी की कुल लंबाई का केवल दो प्रतिशत हिस्सा ही गुजरता है.। लेकिन, इस दो प्रतिशत हिस्से में दो हजार से ज्यादा स्थानों पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण है।
कालिंदी कुंज, ओखला, मयूर विहार, गीता कॉलोनी, कश्मीरी गेट और वजीराबाद सहित कई इलाकों में यमुना नदी के ओ-जोन एरिया को नक्शे से गायब किया जा चुका है। सरकार ने यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में जो 10 बायोडायवर्सिटी पार्क बनाए थे, उसमें से 6 पार्क पर अवैध कब्जा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले महीने इन पार्क को अतिक्रमण मुक्त कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन अतिक्रमण वाले माफिया इतने शक्तिशाली हैं कि यमुना नदी के जिस 7,362 हेक्टेयर बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जा है, उनमें से सरकार सिर्फ 700 हेक्टेयर को ही अतिक्रमण मुक्त कर सकी।
ये सारा अतिक्रमण पिछले 30 वर्षों के दौरान हुआ है। वर्ष 1990 तक यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर ना के बराबर अवैध कब्जा था। लेकिन इसके बाद नदी के डूब क्षेत्र में बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण हुआ और अब वर्ष 2024 में करीब 75 फीसदी बाढ़ क्षेत्र पर अवैध कब्जा हो चुका है। ऐसा माना जाता है कि यमुना नदी का अस्तित्व दो करोड़ वर्षों से भी पुराना है और ये गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जिसे सीताजी इतना पवित्र मानती थीं कि एक बार उन्होंने इस नदी से सिर्फ इस लिए क्षमा-याचना की थी, क्योंकि वह इस नदी को भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ एक नाव में बैठ कर पार करना चाहती थीं।
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,09 Nov'24 For the first time in two and a half…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 Oct'24 October has marked a record- breaking month for foreign…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23'Oct'24 The International Monetary Fund (IMF) has reaffirmed its positive outlook…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23 Oct'24 A reduction in Goods and Services Tax (GST) could…
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप औद्योगिक क्षेत्र के बंद फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स…
संयुक्त कार्रवाई में 1814 करोड़ का MD ज़ब्त, तीन आरोपी गिरफ्तार, देश भर में नशे…