राजनीति

चंपाई के भाजपा में जाने की अटकलें तेज, पर हो सकता है प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा

रांची। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के भाजपा में जाने की चर्चाएं रांची से लेकर दिल्ली तक हो रहीं हैं। इसमें सच्चाई कितनी है कोई नहीं जानता,पर लोग ये भी मानकर चल रहे हैं कि इस तरह की अटकलें प्रेशर पॉलिटिक्स का एक हिस्सा हो सकती है। अटकलें हैं कि पूर्व सीएम चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा को बड़ा झटका देने जा रहे हैं। चंपाई के कुछ अन्य विधायकों के साथ भाजपा में जाने की चर्चा है। सियासी गलियारे में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन व पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम के दिल्ली में होने की खबरें उड़ीं, लेकिन चंपाई तब जमशेदपुर में थे। जमशेदपुर में इस संबंध में पूछे गए सवालों पर चंपाई ने कहा कि अभी उनका राजनीतिक जीवन बहुत लंबा है। कुछ भी कहना मुश्किल है। उन्होंने ऐसे कई अन्य सवालों को मुस्कुराते हुए टाल दिया। चंपाई के इस बयान के बाद झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन यूसील माइंस में एक मजदूर की मौत के मामले में सीएमडी से मिलने पहुंचे थे। लगभग एक घंटे तक सीएमडी और अन्य अधिकारियों से मजदूर के परिजन को नौकरी और मुआवजा देने पर बात हुई। वहां से निकलने के बाद चंपाई सोरेन जादूगोड़ा स्थित झामुमो कार्यालय पहुंचे। वहां पर पत्रकारों से बातचीत की। भाजपा में जाने के कयास के सवालों को पहले वे टाल गए। बाद में कहा, अभी भी राजनीतिक जीवन बहुत लंबा है। क्या होगा, कुछ भी कहना मुश्किल है। उनके साथ ही लोबिन हेम्ब्रम के दिल्ली होने के सवाल पर चंपाई ने कहा-देखिए मैं तो आपके सामने हूं। लोबिन पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। भाजपा में शामिल होने के सवाल को स्पष्ट रूप से खारिज नहीं करने के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। वहीं, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरायकेला में दिए भाषण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम नहीं लेने को लेकर भी चर्चा का बाजार गरम है। स्थानीय लोगों के साथ ही झामुमो नेताओं ने भी कहा कि चंपाई सोरेन के भाषण में मुख्यमंत्री हेमंत का नाम नहीं लेना सामान्य बात नहीं हो सकती है। झामुमो से निलंबित हो चुके पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम ने भाजपा से जुड़ने के सवाल पर कहा कि इस संबंध में वह जल्द ही फैसला लेंगे। उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं से संपर्क की बात भी कही। उन्होंने कहा कि अब परिवारवाद के खिलाफ मोर्चा खोलने का समय आ गया है। लोबिन ने झामुमो के रुख से नाराज एक अन्य विधायक के भी जल्द पार्टी छोड़ने का दावा किया।

चंपाई सोरेन को लेकर अटकलों की वाजिब वजह बताई जा रही है। चंपाई को अचानक मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कई मौकों पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी प्रशंसा की है। चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान भी भाजपा प्रत्यक्ष तौर पर कभी उनके ऊपर हमलावर नहीं रही। शुक्रवार को भी झामुमो नेतृत्व पर निशाना साधते हुए झारखंड में भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि चंपाई सोरेन झामुमो में रहकर शिबू सोरेन के साथ संघर्ष किया। झामुमो में हेमंत से ज्यादा चंपाई सोरेन का हक है। उनका व्यक्तित्व बड़ा, उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। वह अपना रास्ता चुनने के लिए खुद समर्थ हैं।

राजनीतिक गलियारों में खबर है कि अगर चंपाई सोरेन भाजपा में शामिल होते हैं तो उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला या पोटका से विधानसभा चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। बता दें कि वर्तमान में पोटका से संजीव सरदार एवं घाटशिला से रामदास सोरेन विधायक हैं और दोनों ही झामुमो के हैं।

Gaurav

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