दिल्ली : भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार अरब डॉलर उछलकर 670.86 अरब डॉलर के अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
22 देशों की तरफ से अभी तक भारत के साथ कारोबार का भुगतान रूपये में करने की इच्छा जताई गई है। इन 22 देशों के बैंकों ने भारतीय बैंकों में रुपये के भुगतान के लिए आवश्यक वोस्ट्रो खाता भी खोल रखा है। अगले कुछ महीनों में पांच-छह देशों के बैंक भी उक्त खाता खोलने की प्रक्रिया में हैं।
■ देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।
■ पिछले महीने ही भारत के सॉवरन डेट बॉण्ड (Sovereign Debt Bond) को जेपी र्मोन चेज एंड कंपनी (JPMorgan Chase & Co.) के इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में शामिल किया गया था। इसके बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ ही रहा है।
■ बीते 19 जुलाई 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से $4.003 billion की बढ़ोतरी हुई है। अब अपना भंडार 670.857 बिलियन डॉलर का हो गया है।
■ साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ।
■ 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा।
■ 2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।
■ वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला।
■ जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है।
■ जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है।
भारत दुनिया का चौथा सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है।
◆ चीन: 3400 अरब डॉलर
◆ जापान: 1254 अरब डॉलर
◆ स्विट्ज़रलैंड: 912 अरब डॉलर
◆ भारत: 670.86 अरब डॉलर
◆ रूस: 585 अरब डॉलर
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