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कैंसर का गढ़ बना पंजाब,10 साल में 32 हजार महिलाओं को निगल गया ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर

चंडीगढ़। नशे की गिरफ्त से पंजाब आजाद होता, इसके पहले ही कैंसर की चपेट में आ गया है। यहां महिलाओं की सर्वाधिक मौत ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर से हो रही है। बीते दस सालों में लगभग 32 हजार महिलाओं को यह गंभीर बीमारी निगल चुकी है। 2014 से 2023 के बीच का यह आंकड़ा पिछले 10 सालों में इन दो कैंसर से होने वाली मौतों में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के अनुसार, पंजाब में पिछले एक दशक में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों के अनुमानित 22,208 मामले सामने आए हैं। 2014 में जहां ब्रेस्ट कैंसर से 1,972 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 2,480 हो गई। इसके अलावा, पिछले एक दशक में 9,671 महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर के कारण दम तोड़ दिया, जिसमें 2014 में 857 से बढ़कर 2023 में 1,082 मौतें हुईं। यह आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों में शामिल थे।

पड़ोसी राज्यों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चला है कि हरियाणा में ब्रेस्ट कैंसर से 15,515 और सर्वाइकल कैंसर से 6,461 मौतें हुईं, जबकि हिमाचल प्रदेश में इसी अवधि के दौरान ब्रेस्ट कैंसर से 4,823 और सर्वाइकल कैंसर से 2,010 मौतें हुईं। ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामलों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी साझा की गई। मंत्रालय ने खुलासा किया कि उसने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक घटक, गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की है। यह सहायता राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर प्रदान की जाती है। यह कार्यक्रम बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्धन और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, जल्द निदान, प्रबंधन और उपचार के लिए स्वास्थ्य सेवा सुविधा के उचित स्तर पर रेफरल के बारे में जागरूकता पैदा करने पर केंद्रित है। इसके अलावा, एनएचएम के तहत देश में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के हिस्से के रूप में आम एनसीडी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और आम कैंसर (मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा) की रोकथाम, नियंत्रण और जांच के लिए एक जनसंख्या-आधारित पहल भी शुरू की गई है। इन सामान्य एनसीडी की जांच आयुष्मान आरोग्य के तहत सेवा वितरण का एक अभिन्न अंग है।

मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ऑन इम्यूनाइजेशन ने जून 2022 में 9-14 वर्ष की आयु की लड़कियों को लक्षित करते हुए सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए एचपीवी वैक्सीन को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की थी। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-2025 में इस सिफारिश को और मजबूती मिली, जिसमें टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया गया। केंद्र ने जांच और प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल भी शुरू किया है। यह पोर्टल जो देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित करता है।

Gaurav

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