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राष्ट्रपति की रेस से हटे जो बाइडेन तो क्या होगा, कौन बनेगा विकल्प

वाशिंगटन। बढ़ती उम्र और सेहत अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दे रही है। इसके चलते डेमोक्रेटिक पार्टी में उन पर दबाव बन रहा है कि वह राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी छोड़ दें। डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले डिबेट में उन्हें सोता हुआ देखा गया था और इस पर उन्होंने मान लिया था कि वह थक गए हैं। हालांकि राष्ट्रपति उम्मीदवारी छोड़ने के सवाल पर वह लगातार कहते रहे कि मैं पीछे नहीं हटूंगा। इस बीच चर्चा है कि 81 साल के जो बाइडेन राष्ट्रपति पद की रेस से हट भी सकते हैं। ऐसे में सवाल है कि जो बाइडेन यदि राष्ट्रपति चुनाव की रेस से हटते हैं तो फिर क्या होगा? पार्टी उनका विकल्प कैसे तलाशेगी। मौजूदा राष्ट्रपति कमला हैरिस को जो बाइडेन का उत्तराधिकारी माना जा रहा है। रेस में उनका नाम सबसे आगे है, लेकिन कैलिफॉर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम के नाम की भी चर्चा है। पूरे अमेरिका में डेमोक्रेट्स के बीच उनकी अच्छी साख है। इसके अलावा मिशिगन के गवर्नर ग्रेचेन विटनर के नाम भी चर्चा है। इन लोगों के अलावा इलिनियॉस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर भी अच्छे उम्मीदवार हो सकते हैं।

बाइडेन राष्ट्रपति की रेस से हटना चाहते हैं तो उन्हें डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी को बताना होगा। इसके अलावा अन्य पक्षों को भी यह बात बतानी होगा कि वह रेस से हट रहे हैँ। इसके बाद डीएनसी की ओर से इस पर मुहर लगाई जाएगी और उनके रेस से हटने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके तहत एक अंतरिम नेता चुनाव जाएगा और नए उम्मीदवार के चयन के लिए प्रक्रिया चालू होगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के कई कॉकस और कमेटियां हैं। जैसे कांग्रेस ब्लैक कॉकस, कांग्रेस हिस्पैनिक कॉकस और प्रोग्रेसिव कॉकस हैं। इनकी मीटिंग बुलानी होगी और उनमें नए कैंडिडेट की चर्चा होगी। इसके बाद संभावित उम्मीदवारों से बात की जाएगी और यह देखा जाएगा कि वह कितना समर्थन हासिल कर सकते हैं। डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की ओर से नेताओं के साथ बैठकें की जाएंगी। इन मीटिंग्स में तय किया जाएगा कि आखिर जो बाइडेन का अच्छा विकल्प कौन हो सकता है। इस प्रक्रिया में डेटा एनालिसिस, पोलिंग की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा संभावित उम्मीदवारों से भी सीधे बात हो सकती है। डेमोक्रेटिक पार्टी को नामांकन से जुड़े अपने कुछ नियमों में बदलाव भी करना होगा। पार्टी को कैंडिडेट का विकल्प तलाशने के लिए वोटिंग करानी होगी। कुछ कानूनी चुनौतियां भी होंगी। कुछ बैलेट्स पर भी बदलाव की जरूरत होगी। अहम बात यह है कि डेमोक्रेटिक पार्टी को अगस्त के पहले सप्ताह तक अपने उम्मीदवार का नाम तय करना होगा ताकि नामांकन हो सके। यह प्रक्रिया जटिल है। इसलिए जो बाइडेन को समय रहते ही पीछे हटना होगा और उनका विकल्प तलाशना होगा।

Gaurav

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