केपटाउन। दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में एक क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि नई रोग-निरोधक दवा का साल में दो बार इंजेक्शन युवतियों को एचआईवी संक्रमण से पूरी सुरक्षा देता है। ट्रायल में यह पता लगाने का प्रयास किया गया है क्या ‘लेनकापाविर’ का छह-छह महीने पर टीका, रोज ली जाने वाली गोलियों की तुलना में एचआईवी संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा देगा। अध्ययन के दक्षिण अफ्रीकी भाग के प्रमुख जांचकर्ता, चिकित्सक-वैज्ञानिक ने बताया कि लेनकापाविर और दो अन्य दवाओं का असर का परीक्षण 5,000 लोगों पर युगांडा में तीन जगहों और दक्षिण अफ्रीका में 25 जगहों पर किया गया। इसे हर छह महीने में एक बार लगाया जाता है। पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में, युवतियां एचआईवी संक्रमणों से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान लेनकापाविर लगवाने वाली 2,134 महिलाओं में से कोई भी एचआईवी से संक्रमित नहीं हुई है। यह इंजेक्शन 100 फीसदी सफल रहा है। उन्होंने कहा कि यह सफलता बड़ी उम्मीद जगाती है कि लोगों को एचआईवी से बचाने के लिए हमारे पास एक सिद्ध, अत्यधिक प्रभावी रोकथाम का उपाय है। पिछले साल वैश्विक स्तर पर 13 लाख नए एचआईवी संक्रमण के मामले आए थे। हालांकि, यह 2010 में देखे गए 20 लाख संक्रमण के मामलों से कम है। युवाओं के लिए रोज एक गोली लेने या कंडोम का इस्तेमाल करने या संभोग के समय एक गोली लेने का निर्णय बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। एचआईवी वैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि युवाओं को यह पता चलेगा कि साल में केवल दो बार यह ‘रोकथाम निर्णय’ लेने से मुश्किलें कम हो सकती हैं। किसी युवती के लिए साल में सिर्फ दो बार एक इंजेक्शन लगवाना वह विकल्प है जो उसे एचआईवी संक्रमण दूर रख सकता है।
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