देश

पुरी के समुद्री तट पर पहुंचीं राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं- प्रकृति समझाती है जीवन का सार

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने फिर प्रकृति की मानव जाति के लिए अहमियत बताई। उन्होंने कहा, रोज़मर्रा की भागदौड़ में हम मदर नेचर से अपना संबंध खो देते हैं। मानव जाति मानती है कि उसने प्रकृति पर कब्ज़ा कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका दोहन कर रही है। इसका नतीजा सभी देख सकते हैं। इस गर्मी में, भारत के कई हिस्सों में भीषण हीट वेव चली। हाल के वर्षों में हमने देखा कि दुनिया असामान्य मौसम की मार झेल रही है। हालात इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दशकों में स्थिति और भी बदतर हो सकती है। इसके बाद राष्ट्रपति ने ग्लोबल वॉर्मिंग से होने वाले नुकसान का जिक्र किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार सुबह पवित्र शहर पुरी के समुद्र तट पर पहुंची। श्री जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में भाग लेने के अगले दिन उन्होंने प्रकृति के साथ बिताए अपने इस अनुभव के बारे में विचार लिखे। एक्स पोस्ट में राष्ट्रपति ने लिखा, ऐसी जगहें हैं जो हमें जीवन का सार समझाती हैं और हमें याद दिलाती हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं।

पहाड़, जंगल, नदियाँ और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी चीज़ को कुरेदते हैं हमें आकर्षित करते हैं। आज जब मैं समुद्र तट पर टहल रही थी, तो मुझे वातावरण से एक जुड़ाव सा महसूस हुआ। मध्यम हवा, लहरों के शोर और पानी के विशाल फैलाव विचारों में खो जाने वाला अनुभव था। उन्होंने आगे कहा, इससे मुझे एक गहन आंतरिक शांति मिली, जो मैंने कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन के समय भी महसूस की थी। और ऐसा अनुभव करने वाली मैं अकेला नहीं हूँ; हम सभी को ऐसा महसूस हो सकता है जब हम किसी ऐसी चीज़ का सामना करते हैं जो हमसे कहीं बड़ी है, जो हमें सहारा देती है और हमारे जीवन को सार्थक बनाती है। उन्होंने लिखा है, पृथ्वी की सतह का सत्तर प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा महासागरों से बना है, और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से वैश्विक समुद्र स्तर बढ़ रहा है, इससे तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा भी बढ़ा है। महासागर और वहां पाए जाने वाली वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता को विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सौभाग्य से, प्रकृति की गोद में रहने वाले लोगों ने ऐसी परंपराएँ कायम रखी हैं जो हमें रास्ता दिखा सकती हैं। उदाहरण के लिए, तटीय क्षेत्रों के निवासी समुद्र की हवाओं और लहरों की भाषा जानते हैं। हमारे पूर्वजों का अनुसरण करते हुए, वे समुद्र को भगवान के रूप में पूजते हैं। अपने भावों को विराम देते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने लिखा है, मेरा मानना ​​है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती का सामना करने के दो तरीके हैं; व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उठाए जा सकते हैं, और छोटे, स्थानीय कदम जो हम नागरिकों के रूप में उठा सकते हैं।

Gaurav

Recent Posts

India Should Be Branded as a ‘Responsible Capitalist’ Nation: FM

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,24 Nov'24 Union Finance Minister Nirmala Sitharaman has underscored the importance…

1 day ago

India’s Deposit Growth Leads Credit Growth After 30 Months of Reversal

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,09 Nov'24 For the first time in two and a half…

2 weeks ago

Indian Market Sees Record $10 Billion Outflow in October

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,27 Oct'24 October has marked a record- breaking month for foreign…

4 weeks ago

India’s Growth Steady at 7%, Outpacing Global Peers, IMF

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23'Oct'24 The International Monetary Fund (IMF) has reaffirmed its positive outlook…

1 month ago

GST Reduction Likely to Make Health & Life Insurance Cheaper

Ira Singh Khabar Khabaron Ki,23 Oct'24 A reduction in Goods and Services Tax (GST) could…

1 month ago

साबुन के नाम पर फैक्ट्री में बन रहा नशीला ड्रग, किराये पर देने वाला गिरफ्तार

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप औद्योगिक क्षेत्र के बंद फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स…

2 months ago