भोपाल : प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण तथा उनके आर्थिक स्वावलम्बन के लिए बालिकाओं के जन्म से लेकर उनके सम्पूर्ण जीवन के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए जा रहे है। चाहे वह नौनिहालों के सुनहरे भविष्य बनाने के लिए “सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 योजना हो”, बेटियों के जन्म से उन्हें लखपति बनाने की लाड़ली लक्ष्मी योजना या फिर बहन-बेटियों को अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा करने में न सिर्फ समर्थ हुई बल्कि बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने और वित्तीय जागरूकता का संयम करती “लाड़ली बहना योजना हो”, सभी योजनाओं ने महिलाओं को सशक्त कर अपने परिवार और समाज में एक अलग पहचान बनाने में सफलता प्राप्त की। इसकी निंतरता को बरकरार रखने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्ष 2024-25 के लिए 26 हजार 560 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष बाल बजट में 70 हजार 447 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है।
महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता में रखते हुए प्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना को निरंतर जारी रखा गया है। योजना में इस वर्ष 18 हजार 984 करोड़ का प्रावधान किया गया है। योजना में 21 से 60 वर्ष की पात्र महिलाओं को प्रतिमाह 1250 रूपये की राशि उनके बैंक खातों में अंतरित की जा रही है।
इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में (सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0) के तहत आंगनवाड़ी सेवाएं के लिए 3469 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इसमें मुख्य: 6 सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। पूरक पोषण आहार जिसमें 6 माह से 6 वर्ष आयु के बच्चों, गर्भवती व धात्री माताओं तथा किशारी बालिकाओं को वर्ष में कम से कम 30 दिन पूरक पोषण आहार प्रदाय किया जाता है। ग्रोथ मॉनिटरिंग एवं टीकाकरण के अन्तर्गत माह में निर्धारित 10 दिवसों में 6 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों का ग्रोथ मॉनिटरिंग एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से माह में एक दिन बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है। आंगनवाड़ी सेवाओं में शाला पूर्व शिक्षा के तहत 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के प्रतिदिन आंगनवाड़ी आने वाले बच्चों को शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक, भाषाई और सौंदर्य बोध की शिक्षा दी जाती है।
पोषण स्वास्थ्य शिक्षा के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता स्वंय एवं आशा तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सहयोग से केन्द्र स्तर पर सामूहिक एवं गृह भेंट कर हितग्राहियों के स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं संतुलित भोजन आदि के बारे में परामर्श दिया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह टीकाकरण दिवस पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर ए.एन.एम., सी.एच.ओ. तथा आर.बी.एस. के दल द्वारा महिलाओं तथा बच्चों की स्वास्थ्य जाँच एवं आवश्यक सलाह दिया जाता है। स्वास्थ्य जाँच के आधार पर जरूरी होने पर महिलाओं एवं बच्चों को स्वास्थ्य केन्द्र अथवा पोषण पुर्नवास केन्द्र उपचार के लिए भेजा जाता है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत इस वित्तीय वर्ष में 350 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को मजदूरी की हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति के रूप में नकद प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए प्रथम प्रसव पर 5 हजार रूपये दो किश्तों में तथा द्वितीय प्रसव पर बालिका के जन्म होने पर 6 हजार रूपये का लाभ एक किश्त में किया जाता है। योजना के प्रारंभ से अब तक 40 लाख से अधिक लाभार्थियों को पंजीकृत कर 1663 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। मार्च 2024 तक 6,31,071 लक्ष्य के विरूद्ध 6,24,588 लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है। प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना के प्रारंभ से वर्ष 2022-23 तक निरंतर 5 वर्षों से मध्यप्रदेश इस योजना के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर है।
समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत मिशन वात्सल्य के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 130 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत विशेष रूप से कठिन परिस्थितयों में रहने वाले 18 वर्ष तक के बच्चों के समग्र कल्याण एवं पुर्नवास के लिये संरक्षण, भरण-पोषण, प्रशिक्षण तथा व्यवसायिक एवं पारिवरिक पुनर्वास मुख्य उद्देश्य है। इसके तहत प्रदेश में विभिन्न प्रकार के 142 गृह संचालित है। कुल मिलाकर राज्य सरकार द्वारा बच्चों और महिलाओं के प्रति संवेदनशील सोच के साथ आगे बढ़ रही है। इनके वर्तमान और भविष्य को संवारने के लिये समग्र रूप से योजनाओं का सफल क्रियान्वयन जारी है।
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