नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, अब एक परिपक्व नेता और कुशल समन्वयक के तौर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा करके मतदाता को पार्अी से जोड़ने में कामयाबी हासिल की, तो एक कुशल रणनीतिकार होने का प्रमाण भी दिया। इसके अलावा दलों और नेताओं को एकजुट करने में भी राहुल गांधी सफल हो रहे हैं। इसकी बानगी आज बुधवार को हुए लोकसभा के स्पीकर चुनाव में देखने को मिली। टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस से खफा थीं। उन्होंने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी थी। पार्टी के दूसरे नेताओं का मानना था कि दीदी को मना पाना इतना आसान नहीं है। कोई उनसे बात करने को भी तैयार नहीं था, उन्हें लग रहा था कि दीदी नहीं मानीं तो पूरे किए कराए पर पानी फिर जाएगा। इसके बाद खुद राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला और सीएम ममता बनर्जी से फोन पर आधा घंटे बात की। बताया गया कि दीदी राहुल गांधी की हर एक बात से सहमत हो गईं। उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि टीएमसी हर एक मोर्चे पर कांग्रेस के साथ खड़ी है।
18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र में ही विपक्षी गठबंधन में तकरार दिखने लगी थी। स्पीकर पद के लिए इंडिया अलांयस ने के. सुरेश को मैदान में उतारकर मोदी सरकार को चुनौती दी थी। कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया अलायंस एनडीए को मात देने की पूरी कोशिश में था। इंडिया अलायंस के कैंडिडेट के सुरेश को विपक्षी सांसदों का साथ मिले, इसके लिए कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि जैसे ही कांग्रेस को ममता की नाराजगी की खबर लगी, तुरंत राहुल गांधी ने मोर्चा संभाल लिया। राहुल गांधी ने आनन-फानन में ममता बनर्जी को फोन घुमाया और करीब 30 मिनट तक बातचीत करके उन्हें मना लिया। दरअसल, मंगलवार को कांग्रेस ने के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था। आनन-फानन में इंडिया अलायंस का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद ममता बनर्जी की टीएमसी कांग्रेस से खफा हो गई। टीएमसी ने आरोप लगाया कि विपक्ष के स्पीकर कैंडिडेट को लेकर उससे राय नहीं ली गई। यही वजह है कि टीएमसी ने समर्थन पत्र पर साइन नहीं किया था। टीएमसी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने अपनी मर्जी से के. सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया।
राहुल गांधी ने तुरंत ममता बनर्जी को फोन किया। राहुल गांधी और ममता बनर्जी के बीच करीब आधे घंटे तक फोन पर बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान स्पीकर के चुनाव को लेकर भी बातचीत हुई। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने के. सुरेश के नामांकन के बारे में पहले न बताने के लिए टीएमसी से माफी मांगी। इसके बाद ममता बनर्जी मान गईं और इंडिया ब्लॉक की बैठक में टीएमसी के 2 सीनियर नेताओं को भेजने का फैसला किया। इससे पहले राहुल गांधी ने लोकसभा में अभिषेक बनर्जी से भी चर्चा की थी। इसके बाद ममता ने फैसला लिया है कि टीएमसी इंडिया अलायंस के कैंडिडेट के सुरेश का समर्थन करेगी।
सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के फोन के बाद ही ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में टीएमसी नेताओं को भेजा। हालांकि, टीएमसी ने कांग्रेस से साफ कहा कि वो बेहतर समन्वय और संवाद की अपेक्षा करती है। टीएमसी इस बात से नाराज है कि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर के सुरेश के नामांकन से पहले कांग्रेस ने उससे बात नहीं की। अभिषेक बनर्जी ने खुलकर कांग्रेस के फैसले को एकतरफा बता दिया था। इसके बाद राहुल ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। टीएमसी सूत्रों का मानना है कि ममता बनर्जी संसदीय परंपराओं में विश्वास करती हैं।
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