जल संसाधन मंत्री सिलावट ने विभागीय अधिकारियों की बैठक ली
भोपाल: जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने निर्देश दिए हैं कि अति वर्षा एवं बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए सभी तैयारियां पूर्ण करली जाएं। जल संसाधन विभाग के अंतर्गत 33 वृहद परियोजनाओं, 115 मध्यम सिंचाई परियोजना और 5693 लघु सिंचाई परियोजनाओं के अंतर्गत आने वाले सभी जल स्रोतों की तुरंत आवश्यक मरम्मत और रखरखाव किया जाए। सभी स्तरों पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए जाएं और संबंधित विभागों के समन्वय से आपदा प्रबंधन की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली जाए।
मंत्री सिलावट आज जल संसाधन भवन में विभाग की राज्य स्तरीय बैठक ले रहे थे। बैठक में अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा, विभाग के प्रमुख अभियंता, सभी कछारों के मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण यंत्री उपस्थित थे।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का संकल्प है प्रदेश में अधिक से अधिक सिंचाई का रकबा बढ़ाना। इसके साथ ही इस प्रकार का प्रबंध किया जाना है कि कम से कम पानी में अधिक से अधिक क्षेत्र में सिंचाई हो सके। गत वर्षों में प्रदेश में सिंचाई के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्रदेश में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाए जाना, उनका गहरीकरण और सौंदर्यकरण के कार्य किए जा रहे हैं। इसे जन आंदोलन बनाया गया है। हर व्यक्ति को जल संवर्धन और संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जल संरचनाओं के आसपास वृक्षारोपण भी किया जा रहा है।
मंत्री सिलावट ने निर्देश दिए कि जल स्रोतों की आवश्यक मरम्मत का कार्य आगामी एक सप्ताह में पूर्ण कर लिया जाए। बरसात में आपदा प्रबंधन के कार्य की मॉनिटरिंग के लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनाई जाए, जो निरंतर इन कार्यों की समीक्षा करे और रिपोर्ट दे। प्रदेश की सभी वृहद परियोजनाओं के बांधों के सभी गेट्स का परीक्षण कर लिया जाए, जिससे समय पर वे सही तरीके से कार्य करें। विभिन्न बांधों से पानी छोड़ने से पूर्व सूचना देने की पुख्ता व्यवस्था कर ली जाए। मंत्री ने निर्देश दिए कि आगामी चार माह में अनिवार्य कार्य के अलावा जन संसाधन विभाग में किसी को भी छुट्टी स्वीकृत न की जाए। बताया गया कि जिला स्तर, बेसिन स्तर और राज्य स्तर पर बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन कर लिया गया है, जो आगामी 15 जून से 15 अक्टूबर तक संचालित होंगे। मंत्री सिलावट ने कहा कि वे स्वयं हर बेसिन पर जाकर आपदा प्रबंधन के कार्यों की समीक्षा करेंगे।
जल संसाधन मंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के कितने तालाब सूखे पड़े हैं और कितने जीवित हैं तथा सूखे पड़े तालाबों को किस तरीके से पुनर्जीवित किया जा सकता है, इस संबंध में योजना बनाकर प्रस्तुत की जाए। प्रदेश की सभी कच्ची नहरों को पक्का किए जाने के लिए भी योजना बनाई जाए। जिन नहरों में मरम्मत की आवश्यकता हो, उनकी तुरंत मरम्मत की जाए। अधिक व कम वर्षा वाले क्षेत्र के लिए अलग-अलग कार्य योजना बनाई जाए। विभिन्न संचालित योजनाओं को समय पर पूर्ण किया जाना भी आवश्यक है। विभागीय कार्यों की एक, दो एवं पांच वर्ष की कार्य योजना बनाई जाए।
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