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नीट परीक्षा में गड़बड़ी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ; एक ही परीक्षा केंद्र से आठ-आठ टॉपर…

नई दिल्ली। इस साल नीट में हुई कथित धांधली का मामला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब कुछ पीड़ितों ने न्याय की आस में देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटा दिया है. सवाल है कि क्या मेडिकल एंट्रेंस एक्जाम नीट (NEET) दुरुस्त तरीके से हुए हैं? NEET के रिजल्ट आए तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन छात्रों में भ्रम आज भी बरकरार है. लाखों बच्चों को समझ नहीं आ रहा कि वे एनटीए (NTA) ने जो नतीजे घोषित किए हैं, क्या उन्हें ही आखिरी मान लें, या फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं ? नीट परीक्षा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कथित गड़बड़ियों को लेकर फिर से परीक्षा कराने की मांग की गई है . NEET UG परीक्षा को कराने वाली संस्था है नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की अपनी दलील है कि इस साल प्रश्न पत्र आसान दे दिया गया था और ज्यादा परीक्षार्थियों के परीक्षा में एप्पियर होने के कारण इस तरह के बडे रिजल्ट आए, जिसमें बहुत सारे लोग टॉप कर गए हैं, यह देखने को मिला है।

इस साल 67 छात्रों ने एक साथ टॉप किया है. इन छात्रों को 720 में से 720 अंक मिले हैं. आज तक कभी भी इतनी संख्या में एक साथ छात्र टॉपर नहीं हुए हैं. 2021 में तीन छात्र टॉप पर गए थे. आम तौर पर एक या दो छात्र ही टॉप कर पाते हैं, यानी नंबर वन की रैंक को वे शेयर करते हैं. अमूमन ऐसे एक, दो या अधिकतम तीन छात्र होते हैं. लेकिन इस बार 67 छात्रों ने एक साथ टॉप किया है। इस बार फिजिक्स के एक पेपर में इतनी बड़ी चूक हो गई कि एक ही सवाल के दो-दो सही जवाब दे दिए गए और दोनों तरह के जवाबों को एनटीए ने सही माना और इस कारण से एक सवाल के सही जवाब के कारण 44 टॉपर बढ़ गए . दरअसल NCERT की नई किताब के मुताबिक जो जवाब छात्रों ने दिया वह गलत था लेकिन पिछले साल की NCERT की किताब के संस्करण में उसी जवाब को सही कहा गया था . आंसर की में उस सवाल जवाब को चुनौती दी गई। दस हजार छात्रों ने यह चुनौती दी थी.

NTA इस चुनौती के आगे झुक गया और उसने उन छात्रों को भी पूरे नंबर दिए जिन्होंने ऑप्शन-चार चुना था, जिसमें कहा गया था कि दोनों ही कथन सही है. इस एक्जाम में मल्टीपल च्वाइस ऑन्सरहोते हैं MCQs होते हैं, लेकिन क्या इसी एक कारण से इतने टॉपर हो गए. ऐसा आज तक पहले कभी नहीं हुआ था. किसी भी परीक्षा में अपने देश में आज तक यह नहीं हुआ. एनटीए अब इस पर जवाब नहीं दे पा रही है. एनटीए के रवैये पर एक सवाल और खड़ा हो गया है. हरियाणा के झज्जर में एक ही परीक्षा केंद्र से आठ-आठ टॉपर निकल आए हैं. यह खबर सामने आने के बाद हरियाणा के जिंद में एडीशनल कमिश्नर के पास कुछ अभिभावकों ने शिकायत दर्ज कराई है और जांच की अपील की है. डॉ कृष्णा शर्मा ने इस मामले का खुलासा किया. उनका कहना है कि हैरानी की बात है कि जिस केंद्र से आठ टॉपर आए हैं उसी केंद्र के छात्रों को ग्रेस मार्क्स भी दिया गया है. डॉ कृष्णा शर्मा का कहना है कि NTA को अधिकार ही नहीं है ग्रेस मार्क्स देने का. इसके लिए कमेटी तक नहीं बनाई गई. यह क्राइटेरिया तय नहीं किया गया कि ग्रेस मार्क्स कितने देने हैं, किसको देने हैं और किस हद तक देने हैं. इस पर एडीशनल डिप्टी कमिश्नर का कहना है कि शिकायतें गंभीर हैं।

कई छात्रों का भी कहना है कि उनके नंबर इतने कम नहीं आ सकते हैं, इस मामले की पूरी जांच बेहद जरूरी है. छात्र इस बात से दुखी हैं कि उन्हें ये समझ ही नहीं आ रहा है कि आगे अब क्या होने वाला है. पीड़ित छात्र अजीब सी मार्किंग व्यवस्था के कारण आज असमंजस में हैं. एनटीए के एक अधिकारी ने कहा कि 2023 में उपस्थित होने वाले कैंडिडेट की संख्या 20,38,596 थी जबकि इस साल 2024 में उपस्थित होने वाले कैंडिडेट की संख्या 23,33,297 हो गई. कैंडिडेटों की संख्या में वृद्धि के कारण कुछ अंक प्राप्त करने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. ऐसा नहीं है कि मेडिकल परीक्षा पर पहली बार सवाल उठे हैं. नौ साल पहले NEET का गठन नहीं हुआ था, तब आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट हुआ करता था. तब NTA नहीं बनी थी और इस परीक्षा का आयोजन CBSE खुद करती थी. उस वक्त आरोप लगे थे कि इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए धांधली की गई है. सवालों के जवाब परीक्षा केंद्र पर छात्रों को भेजे गए. सुप्रीम कोर्ट ने उस साल 15 जून को परीक्षा रद्द कर दी थी. कोर्ट ने चार हफ्ते के अंदर फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया था. तब सरकार की तरफ से कोर्ट में यह दलील दी गई कि 44 छात्र धांधली में शामिल थे और ऐसे में 6.3 लाख छात्रों से दोबारा परीक्षा नहीं दिलवाई जा सकती.

 

इस पर तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर एक भी छात्र गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुंचता है तो पूरी एक्जाम प्रक्रिया बिगड़ जाती है. यह बात 2015 की है. इसी तरह की हरकतों को रोकने के लिए बाद में NTA का गठन हुआ था, लेकिन अब 2024 के नतीजों ने वैसे ही सवाल फिर खड़े कर दिए हैं और खासकर NTA के कंडक्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्या इन नतीजों और रैंकिंग को छात्र सही मानें, जो इस बार आए हैं या फिर परीक्षा फिर से कराई जाए? क्या होगा यह तो आने वाले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के रुख से पता चलेगा, लेकिन NEET की इस विवादित परीक्षा पर अब सियासतदान भी कूद गए हैं. कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया है – ”पहले NEET परीक्षा का पेपर लीक हुआ और अब छात्रों का आरोप है कि इसके रिजल्ट में भी स्केम हुआ है. एक ही सेंटर के छह छात्रों को 720 में से 720 अंक मिलने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और कई तरह की अनियमितताओं की बातें भी सामने आई हैं।

दूसरी ओर रिजल्ट आने के बाद देश भर में कई बच्चों के आत्महत्या करने की खबरें भी हैं. यह बहुत दुखद है और झकझोरने वाला है. सरकार लाखों छात्रों की आवाज को अनसुना क्यों कर रही है. छात्र-छात्राओं को NEET परीक्षा के परिणाम में धांधली से वाजिब सवालों के जवाब चाहिए. क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह जांच कराकर इन वाजिब शिकायतों का निस्तारण करे.” NEET का शुरू से विरोध करते रहे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने सभी राज्य सरकारों से इसी बहाने अपील कर दी है. वे कहते हैं कि NEET के खिलाफ सब लोग आवाज उठाएं और एकजुट होकर इस बीमारी को खत्म करें. अब इस परीक्षा के खिलाफ प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं. कानपुर में छात्रों ने आज प्रदर्शन किया. शुक्रवार को कानपुर के काकादेव कोचिंग मंडी में भी छात्रों ने प्रदर्शन किया. इस बार NEET में करीब 24 लाख छात्र शामिल हुए थे.

Gaurav

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