भोपाल। वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने अपर मुख्य सचिव वन जेएन कंसोटिया के ठेके पर वानिकी कार्य कराने जाने संबंधित जारी आदेश को 31 जुलाई तक स्थगित करने के लिए नोटशीट लिखी है। यानी ठेकेदारी प्रथा को लेकर मंत्री और विभागीय अफसर एक तरफ हो गए हैं और एसीएस अकेले पड़ते दिखाई दे रहें है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने वन विभाग में चली आ रही परंपरा के अनुसार ही कराई जाने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है।
वृक्षारोपण के कार्य निकट आ गए हैं। इस बात को लेकर की वानिकी कार्य ठेके से कराए जाएंगे अथवा वन विभाग करेगा, इसको लेकर अभी असमंजस की स्थिति है। जंगल महकमे के मुख्यालय में पदस्थ सीनियर आईएफएस अधिकारी से लेकर मैदानी अमला तक अपने मंत्री के आदेश की प्रतीक्षा कर रहा है। दरअसल, मंत्री चौहान ने अपर मुख्य सचिव वन जेएन कंसोटिया के ठेके पर वानिकी कार्य कराने जाने संबंधित जारी आदेश को वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने 31 जुलाई तक स्थगित करने के लिए नोटशीट लिखी है। वन विभाग के सीनियर अधिकारियों का एक ग्रुप अपने मंत्री से मुलाक़ात कर ठेके से वानिकी कार्य कराए जाने के दुष्परिणामों से अवगत कराएगा। साथ ही उनसे यह भी मांग करेगा कि जिन राज्यों में यह प्रथा लागू है, वहां का अध्ययन करने के बाद ही इस पर निर्णय ले। यदि जरुरी हो तो उसे पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ वन मण्डलों में किया जाय। उसके बाद गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाय।
– जंगलों में ठेकेदारी प्रथा लागू न करने का आग्रह
वन विभाग के कर्मचारी संगठन लगातार एक्स कि उसे फरमान का विरोध करते आ रहे हैं, जिसमें वानिकी कार्य ठेके पर कराने का आदेश जारी किया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान लखनादौन के चुनावी सभा में पांच समितियों के पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों ने भी मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात कर जंगल में ठेकेदारी प्रथा लागू न करने का आग्रह किया है। बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने समितियां के पदाधिकार को आश्वासन भी दिया था। इसके अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने भी मुख्यमंत्री मोहन यादव को जंगल में ठेकेदारी प्रथा लागू नहीं करने का आग्रह किया है। डॉ सिंह ने आशंका की है कि एक्स के आदेश का अच्छा सा पालन किया जाता है तो आवेश शिकार और जंगलों की कटाई संबंधित अपराध बढ़ जाएंगे।
– अभी तक नहीं बन पाए नियम और शर्तें
ठेके पर वानिकी कार्य कराने जाने संबंधित जारी आदेश के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) यूके सुबुद्धि को नियम और शर्तें बनानी थी। समाचार लिखे जाने तक नियम और सरसों का ड्राफ्ट नहीं बन पाया है। ऐसी स्थिति इसलिए भी निर्मित हुई, क्योंकि अधिकारियों को वन मंत्री चौहान की मंशा का पता चला कि वह भी वानिकी कार्य ठेके पर कराए जाने के पक्ष में नहीं है। मंत्री ने एसीएस के आदेश को जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा है।
– क्या है एसीएस का फरमान
वन विभाग ने 27 मार्च को एक आदेश जारी कर समस्त वनमंडलों एवं वन्यप्राणी क्षेत्रों में (कोर क्षेत्र छोड़कर) फेंसिंग कार्य, वायरवैड फेंसिंग, चेनलिंक फेंसिंग, पशु अवरोधक खंती एवं पशु अवरोधक दीवार का निर्माण कार्य ठेके पर कराने के निर्देश दिए हैं। आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2 लाख से अधिक लागत के समस्त भवन निर्माण एवं मरम्मत कार्य निविदा के जरिए कराया जाए। इसके अलावा नर्सरी में क्षेत्र तैयारी/गढ्ढा खुदाई कार्य पौधा रोपण लगवाई एवं अधोसंरचना विकास अंतर्गत पॉली हाउस/मिस्ट चेम्बर का निर्माण के कार्य भी ठेके से कराया जाय।
– अधिकारी भी जता चुके है विरोध
प्रधान मुख्य वन संरक्षक और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों तक ने एक स्वर में विरोध जताया है। अफसरों का तर्क है कि यह सामुदायिक संसाधन है। स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होता है और उनका जंगलों से जुड़ाव रहता है। ठेकेदारी लागू होने से वन विभाग में स्थापित इकोसिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। विरोध करने वाले अधिकारियों का मानना है ठेकेदार समयबद्धता के साथ काम नहीं कर पाएगा। जंगल महकमा वनग्रामों में रह रहे वनवासियों को रोजगार उपलब्ध कराता है। सुदूर जंगल और नक्सलाइट एरिया में ठेकेदार कैसे काम करेगा, वहां तो विभाग के लोगों से ही काम कराना होगा।
– वन ग्रामों से होगा आदिवासियों का पलायन
वन विभाग के नए आदेश के लागू होने पर जंगल क्षेत्र के आसपास रहने वाले गरीब मजदूरों और आदिवासियों खासतौर पर वन ग्रामों के रहवासियों के पलायन की संभावना बढ़ जायगी। इसके अलावा वन विभाग में जो भी काम होते हैं वो एक निश्चित समय-सीमा में स्थानीय मजदूरों और वन क्षेत्र में रहने वाले ट्राइब्स से उनके तकनीकी और कौशलीय ज्ञान और एक्सपीरियंस के आधार पर कराए जाते हैं। ठेके से कराए जाने पर जहां समय-सीमा पर कार्य नहीं हो पाएंगे, वही ठेकेदार अपने मजदूरों और मशीनों से काम कराएगा, न कि स्थानीय लेबर को रोजगार देगा। इसके अलावा ठेकेदारी प्रथा से लागत बढ़ेगी क्योंकि इसमें ठेकेदार का कमीशन भी जुड़ेगा।
– कई सवालों में उलझा है शासन का आदेश
शासन का आदेश गफलत भरा है। इस आदेश मे ब्यापक रूप से त्रुटिंया है। मसलन, आदेश में कहीं उल्लेख नहीं है कि वन विभाग के क्षेत्रिय अमले की क्या भूमिका होगी? वन विभाग इन कार्यो की मनीटरिंग कैसे करेगा ? निविदा से क्रय समग्री का भौतिक सत्यापन कौन करेगा ? निविदा से क्रय सामग्री की क्या गारंटी है कि सामग्री मानकों के आधार पर निविदकार द्धारा प्रदान की गयी सामग्री का तकनीकी परीक्षण किसके द्धारा किया जावेगा ? यदि क्रय सामग्री अमानक स्तर की है तो उसके लिये किसे दोषी ठहराया जायेगा ? निविदाकार द्धारा प्रदाय की गयी सामग्री पर स्वीकृत आदेश के अनुपात मे नहीं होने पर निविदाकार के बिरूद्ध इस आर्थिक अनिमियतता के लिये क्या विभागीय कार्यवाही की जावेगी ? उसकी आमानत राशि जप्त की जायेगी या नहीं ?
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,05 June’25 India’s manufacturing sector lost some momentum in May, with…
Ira Singh Khabar Khabaron ki,02 June’25 India’s Goods and Services Tax (GST) collections continued their…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,01 June’25 The central government managed to meet its fiscal deficit…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,31 May'25 India’s economy expanded by 7.4% in the March quarter…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,31 May’25 Infosys founder NR Narayana Murthy has launched a pioneering,…
Ira Singh Khabar Khabaron Ki,30 May’25 India’s economy has reached a significant milestone, with its…