नाम और भूमिका चिह्नित करने के बाद हो सकती है सेवा समाप्त
भोपाल। मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में हुए फर्जीवाड़े में 100 से अधिकारियों-कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। नाम और भूमिका चिह्नित करने के बाद इनकी सेवा समाप्त की जा सकती है। इनमें नर्सिंग काउंसिल के तत्कालीन रजिस्ट्रार, काउंसिल के अन्य अधिकारी और नर्सिंग कालेजों की जांच टीम में शामिल अधिकारी-कर्मचारी नप सकते हैं। अभी तक भ्रष्टाचार के इतने बड़े मामले में किसी अधिकारी-कर्मचारी पर आंच नहीं आई है। हाई कोर्ट के निर्देश पर दो तत्कालीन रजिस्ट्रार चंद्रकला दिगवैया और सुनीता शिजू को निलंबित किया गया था। नर्सिंग कालेजों को मान्यता देने का अधिकार नर्सिंग काउंसिल को है। अब उसकी जगह आयोग बनाने की बात मुख्यमंत्री ने कही है। यह आयोग कालेजों की जांच, मान्यता और परीक्षा कराने का काम करेगा। सूत्रों ने बताया कि अपर्याप्त संसाधनों के बाद भी कालेजों को मान्यता देने का खेल 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से चल रहा था, पर 2018 के बाद से फर्जीवाड़ा खूब बढ़ा। 2018 से 2022 के बीच कालेजों की मान्यता की गंभीरता से जांच की जाए तो कई बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं। सबके मन में यही प्रश्न उठ रहा है कि ऊपर के लोगों की सह के बिना रजिस्ट्रार के स्तर पर कैसे इतनी गड़बड़ी का खेल चलती रही। शिकायतें भी होती रहीं पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। व्यापम फर्जीवाड़े में ह्विसिल ब्लोअर की भूमिका में रहे पूर्व विधायक पारस सखलेचा सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर व्यापम मामले की फिर से जांच की मांग करेंगे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि नर्सिंग कालेजों से रिश्वत लेने के मामले में बर्खास्त सीबीआई निरीक्षक राहुल राज ने व्यापमं में हुए फर्जीवाड़े की जांच भी की थी, इसलिए इस जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने भी इंटरनेट मीडिया एक्स पर सीएम को अपना संदेश पोस्ट कर परमार को सुरक्षा और मिलने के लिए समय देने की मांग की है। नर्सिंग कालेजों की जांच में उपयुक्त रिपोर्ट देने के लिए फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद अब सीबीआई में पदस्थ होने वाले संवर्गों के अधिकारियों के बीच गुटबाजी भी दिख रही है। सीबीआई संवर्ग के अधिकारी कह रहे हैं कि प्रदेश पुलिस में जिला पुलिस बल और एसएएफ के लोग आकर जांच एजेंसी की छवि खराब कर रहे हैं। उधर, प्रदेश पुलिस में एसएएफ वर्सेस जिला पुलिस बल शुरू हो गया है। दोनों के अधिकारी खुद को ईमानदार बता रहे हैं। वाट्सएप पर एक-दूसरे का घेर रहे हैं। भोपाल में जब से सीबीआई का मुख्यालय शुरू हुआ है जिला पुलिस बल से यहां पदस्थ दो निरीक्षक रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार हुए हैं। इनमें एक महेंद्र सिंह सोलंकी और दूसरे अटैचमेंट पर पदस्थ सुशील कुमार मजोका शामिल हैं। मजोका नर्सिंग रिश्वतकांड में गिरफ्तार हुए हैँ। इस मामले में एसएएफ संवर्ग के ऋषीकांत असाटी का भी आरोप पत्र में नाम है, पर उनके से अघोषित नगदी या भ्रष्टाचार से संबंधित दस्तावेज नहीं मिले हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर व्यापमं में पीएमटी फर्जीवाड़ा और अन्य मामलों की जांच सीबीआई ने की थी। एनएसयूआई की मेडिकल विंग के राज्य समन्वयक रवि परमार ने कहा है कि नर्सिंग घोटाले की वह रोज नई जानकारी उजागर कर रहे हैं, जिससे कालेज संचालकों और दलालों से उनकी जान को खतरा है। उन्होंने सरकार से सुरक्षा की मांग की है। साथ ही मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा है।
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