-जयशंकर बोले-ऐसे फैसले जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं ला सकते
काठमांडू । नेपाल सरकार ने हाल ही में 100 रुपए के नोट जारी किया है जिसको लेकर विवाद छिड़ गया है। इस नोट पर नेपाल ने अपना जो नक्शा छापा है, उसमें कई ऐसे क्षेत्र भी शामिल किए हैं, जिनको भारत अपना कहता है। नेपाली प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार ने 3 मई को नेपाल में100 रुपए के नए नोट पर विवादास्पद नक्शे के इस्तेमाल का फैसला लिया। नेपाल सरकार ने कहा कि कैबिनेट ने 25 अप्रैल और 2 मई को बातचीत के बाद नोट के नए डिजाइन को मंजूरी दे दी है और पुराने नोटों के स्थान पर नए नोट जारी किए गए हैं। नेपाल ने चार साल पहले, 2020 में इस नक्शे को जारी किया था और ये विवाद की वजह बना गया था। एक बार फिर ऐसे समय पर नेपाल ने ये विवाद खड़ा किया है, जब भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं।
इस फैसले के बाद नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के आर्थिक सलाहकार चिरंजीवी ने इस कदम की आलोचना करते हुए इस्तीफा दे दिया। भारत की ओर से भी इस प्रतिक्रिया दी गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल के इस फैसले को एकतरफा बताते हुए कहा कि इस मामले पर भारत की स्थिति साफ है और ऐसे फैसले जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं ला सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के विवादास्पद नक्शे को नेपाल के पूर्व पीएम केपीएस ओली की सरकार के समय अपनाया गया था। इस फैसले से भारत और नेपाल के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
नेपाल और भारत 1850 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों से नेपाल की सीमा लगी हुई है। दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर कुछ जगहों पर विवाद चल रहा है। हालिया विवाद की शुरुआत 2020 में तब हुई जब भारत विरोधी अभियान चलाकर सत्ता में आए नेपाल के पूर्व पीएम ओली ने देश का नक्शा बदल दिया। भारत को झटका देते हुए जून 2020 में नेपाल ने भारत के साथ विवादित क्षेत्रों पर अपना दावा किया। नेपाल ने लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अपनी सीमा में होने का दावा किया, जिसे भारत अपना कहता है। नेपाल की ओर ये तब किया गया, जब भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे को कैलाश-मानसरोवर मार्ग से जोड़ने वाली नई सड़क खोलने का फैसला भारत ने लिया था।
इससे पहले दिसंबर 2019 में भी भारत की ओर से भी एक नक्शा जारी किया गया था, इसमें कालापानी को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्सा दिखाया गया था। नेपाल की ओर से उस पर आपत्ति की गई थी, जिस पर भारत ने मतभेदों को सुलझाने के लिए एक विदेश सचिव स्तर की वार्ता तंत्र का गठन करने की बात कही थी। इसके बाद कोविड महामारी के चलते बातचीत शुरू नहीं हो सकी थी और फिर नेपाल ने विवादित नक्शा जारी कर दिया है।
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