– हीटवेव की वजह से हर साल औसतन 31,748 मौतें हो रही
– उत्तर-पश्चिम भारत चलेगी जानलेवा लू
-हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली के लिए ऑरेंज अलर्ट , वहीं पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मप्र, बिहार, गुजरात, झारखंड और ओडिशा के लिए येलो अलर्ट
नई दिल्ली । देश के अधिकांश राज्यों में इस समय सूरज आग उगल रहा है। बिहार, झारखंड समेत उत्तर पश्चिम भारत के कई राज्य आसमान से आग बरसती आग और लू से झुलस रहे हैं। इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गर्मी और लू को लेकर अलर्ट जारी किया है। आईएमडी ने गुरुवार को कहा कि अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में लू चलने की आशंका है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली पर इसका सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा। साथ ही मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि 18 मई से पूर्वी और मध्य भारत में भी गर्मी का नया दौर शुरू हो जाएगा।
गर्मियों की शुरूआत के साथ ही देश में लू का कहर धीरे-धीरे चरम पर पहुंच रहा है। भीषण गर्मी और लू (हीटवेव) बढ़ते तापमान और बदलती जलवायु के साथ पहले से कहीं ज्यादा विकराल रूप लेती जा रही है। लू किस कदर घातक हो सकती है इसका खुलासा मोनाश विश्विद्यालय ने अपनी एक नई रिसर्च में किया है, जिसके मुताबिक लू और गर्म हवाएं दुनिया भर में हर साल होने वाली 153,078 मौतों के लिए जिम्मेवार है। इससे ज्यादा परेशान करने वाला क्या हो सकता है कि इनमें से हर पांचवी मौत भारत में हो रही है। यदि आंकड़ों की मानें तो भारत में लू की वजह से हर साल औसतन 31,748 मौतें हो रही हैं। ऐसे में बढ़ती गर्मी और लू से बचाव के लिए कहीं ज्यादा संजीदा रहने की जरूरत है।
दिल्ली में पारा बढकर हो जाएगा 45 डिग्री
भारतीय मौसम विभाग ने बढ़ती गर्मी की स्थिति को देखते हुए हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। आईएमडी ने कहा है कि पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों में 17 से 20 मई और पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में 18 से 20 मई के दौरान गंभीर लू चलने की संभावना है। इसके अलावा विभाग ने यह भी कहा कि राजधानी दिल्ली में शनिवार तक तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।
सामान्य से अधिक रही हीटवेव के दिनों की संख्या
इससे पहले मौसम विभाग ने मई में देश के उत्तरी मैदानी इलाकों और मध्य भारत में लू और गर्मी के दिनों की सामान्य से अधिक संख्या की भविष्यवाणी की थी। मौसम विभाग के मुताबिक, अप्रैल में पूर्व, उत्तर-पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में रिकॉर्ड तोड़ अधिकतम तापमान देखा गया। इसके कारण स्कूलों को बंद करने का निर्देश जारी किया गया था। इतना ही नहीं, कई स्थानों पर अप्रैल का अब तक का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। लू की चरम स्थिति के कारण कुछ मौतें भी दर्ज की गईं हैं। जिसमें केरल के भी दो लोग शामिल हैं। हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया था कि अप्रैल के महीने में 5 से 7 और फिर 15 से 30 तारीख के बीच दो दौर में लू चली। औसत अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। महापात्र ने कहा कि पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में अप्रैल के महीने में औसत न्यूनतम तापमान 28.12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 1901 से दर्ज किए जा रहे तापमान में यह पहला मौका था कि इन क्षेत्रों में अप्रैल में इतना अधिक न्यूनतम तापमान रहा। उन्होंने यह भी बताया था कि 1980 के दशक के बाद से दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान आम हो गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि अप्रैल में पूर्व, पूर्वोत्तर और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में लंबे समय तक गर्मी और लू चलने की मुख्य वजह गरज के साथ होने वाली बारिश में कमी रही। पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी और भारत के निकटवर्ती पूर्वी तटों पर निचले स्तर पर बने चवात रोधी परिस्थितियों की वजह से कम बारिश हुई।
लू से होने वाली मौतों में भारत दुनिया में शीर्ष पर
गौरतलब है कि लू से होने वाली इन अतिरिक्त मौतों के मामले में भारत दुनिया में शीर्ष पर है। आंकड़ों से पता चला है कि दुनिया में सालाना लू से होने वाली डेढ़ लाख अतिरिक्त मौतों में से करीब 20.7 फीसदी भारत में हो रही हैं। वहीं 13.8 फीसदी के साथ चीन दूसरे, जबकि 7.89 फीसदी मौतों के साथ रूस तीसरे स्थान पर है। वहीं यदि क्षेत्रीय तौर पर देखें तो दुनिया में लू की वजह से होने वाली इन अतिरिक्त मौतों में से करीब 49 फीसदी एशिया में दर्ज की गई। वहीं इनमें से करीब 31.6 फीसदी यूरोप, 13.8 फीसदी अफ्रीका में दर्ज की गई। वहीं यदि अमेरिका की बात करें तो यह आंकड़ा 5.4 फीसदी जबकि ओशिनिया में सबसे कम 0.28 फीसदी दर्ज किया गया।
बढ़ते तापमान पर नहीं लगाम
आंकड़ों की मानें तो 1990 से 2019 के बीच पिछले तीन दशकों में गर्म मौसम के दौरान होने वाली सभी मौतों में से करीब एक फीसदी के पीछे की वजह लू रही। मतलब की हर एक करोड़ की आबादी पर 236 मौतों के लिए लू जिम्मेवार रही। इस दौरान यूरोप में जितनी मौतें हुए हैं उनमें लू की हिस्सेदारी करीब 1.96 फीसदी रही। मतलब की तीन दशकों में यूरोप में हर एक करोड़ लोगों पर 655 की मौत की वजह लू रही। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि लू यूरोप के लिए कितना बड़ा खतरा है।
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